इससे कार्पोरेशन को प्याज(onion) की आर्थिक लागत 1267 रुपए प्रति क्विंटल के मान से सीधे तौर पर 33.07 लाख रुपए की हानि हुई है और 97 मेट्रिक टन की भंडारण कमी आई। प्रबंध संचालक ने लिखा है कि अशोक राय का यह कृत्य कत्र्तव्य के प्रति लापरवाही और उदासीनता का द्योतक है तथा मप्र सिविल सेवा (आचरण)नियमों का उल्लंघन है जो दंडनीय अपराध है।
राय को नोटिस में कहा गया है कि सात दिन में अपना जवाब देकर स्पष्ट करें कि क्यों न आपके विरुद्ध नियमानुसार जुर्माना लगाया जाए। यह भी कहा गया है कि यदि समयावधि में जवाब नहीं दिया गाया तो यह माना जाएगा कि आपको इस बारे में कुछ नहीं कहना है और एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी गई प्याज को कम दर पर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से जल्द से जल्द सिर्फ इसलिए निकाला गया था जिससे प्याज खराब होने से पहले ही समय सीमा में उठवाई जा सके और शासन को होने वाले नुकसान को बचाया जा सके। लेकिन पूरी प्रक्रिया में लापरवाही बरती गई और इससे 97 मेट्रिक टन प्याज के भंडारण की कमी सामने आई। इससे शासन को बड़ी हानि झेलना पड़ी।
वहीं यह बात भी सामने आई है कि प्याज विक्रय टेेंडर प्रक्रिया में यह साफ था कि पूरे प्याज को एक तरफ से खरीददार पार्टी को उठवाना है, न कि अच्छी-अच्छी प्याज को छंटवाकर उठाया जाना है। लेकिन जिले में सारे नियमों को एकतरफ रखकर खरीददारों से मिलीभगत कर अच्छी-अच्छी प्याज छंटवाकर बिकवा दी गई। नतीजा यह हुआ कि अच्छी प्याज बिक जाने के बाद खराब प्याज को फिंकवाना भी मंहगा पड़ गया।