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बैंक की कर्ज वसूली के कारण एक युवक ने आत्महत्या कर ली

locationविदिशाPublished: Mar 23, 2019 02:09:02 pm

Submitted by:

Bhupendra malviya

बैंक ने कर्ज वसूली के लिए सख्ती की तो युवक ने खुदकुशी कर ली। परिजनों ने बैंक के सामने शव रखकर प्रदर्शन किया।

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बैंक की कर्ज वसूली के कारण एक युवक ने आत्महत्या कर ली

विदिशा। बैेंक से तीन साल पहले कर्ज लेकर घर बनवाया था। मजदूरी करके किश्तें भरता रहा। बाद में एक हादसे में पैर खराब हो गया तो मजदूरी भी छूट गई। परिजन भी परेशान थे। जैसे तैसे घर की रोजी रोटी का गुजारा हो पाता था। ऐसे में किश्तें भरने के बारे में धेला भी उनके पास नहीं था। लेकिन बैंक को इससे क्या? जब किश्तें नहीं भर पाईं तो मजदूर राजेश सिलावट के घर पर बैंक ने नोटिस चस्पा करा दिया कि यदि कोई इस मकान को खरीदना चाहे तो वह बैंक से संपर्क करे। राजेश की पत्नी की मानें तो बैंक के लोग आते और धमकाते, कहते थे कि मर जाओ तो ही माफ हो पाएगा कर्जा। राजेश ने यही किया। उसने

शुक्रवार की सुबह अपने उसी घर में फांसी लगाकर जान दे दी। बाद में परिजनों ने शव को बैंक के सामने रखकर हंगामा किया। सिविल लाइन थानांतर्गत करैयाखेड़ा मार्ग निवासी मृतक राजेश के पुत्र अंकित ने बताया कि पिता ने कल सभी के साथ होली खेली। रात करीब 9 बजे तक घर में सभी सो गए थे। सुबह करीब पांच बजे मम्मी ने पापा को इस हाल में देखा तो रो पड़ी। मां के रोने की आवाज पर हम सभी बच्चे उठे। इस दौरान आसपास के अन्य लोग भी आ गए और शव को नीचे उतारा। पुलिस ने शव को पीएम के लिए जिला अस्पताल भिजवाया। इधर जिला अस्पताल में पीएम के दौरान बड़ी संख्या में परिजन, रिश्तेदार और बस्ती के लोग एकत्रित हो गए। चार लाख रुपए का था कर्ज परिजनों ने बताया कि राजेश ने मकान बनाने के लिए तीन वर्ष पहले इंडिया शेल्टर फायनेंस बैंक से चार लाख का ऋण लिया था।

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दो वर्ष तक सभी किस्तों को भरा गया, लेकिन इस बीच सड़क हादसे में राजेश का एक पैर खराब हो गया। वह मजदूरी नहीं कर पा रहा था। ऐसे में दूसरों से कर्ज लेकर किस्त भरी और बच्चे व मां भी मजदूरी कर कर्ज चुकाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन करीब सात किस्तें रह गई थी। इस पर बैंक के कर्मचारी किस्त भरने के लिए दबाव बना रहे थे। घर की दीवार पर बैंक ने लिख दिया था यह मकान बंधक है

परिजनों का कहना है कि कर्मचारियों के दबाव के साथ ही उसके मकान की दीवार पर बैंक ने लिख दिया था। यह मकान इंडिया शेल्टर फायनेंस में बंधक है। इसकी खरीदी एवं बिक्री हेतु शाखा से संपर्क करें। इस नोटिस से वह और अधिक निराश हो गया था। पिता करणसिंह ने बताया कि दो दिन ही पूर्व ही राजेश ने फोन पर उससे बात की थी। कह रहा था मैं परेशान हूं। मकान का कर्ज चुकाना है। हम बैठकर कुछ विचार बनाते इससे पहले ही उसने यह कदम उठा लिया।

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पिता का कहना है कि वह उनका इकलौता पुत्र था। बैंक के अलावा एक अन्य व्यक्ति का भी था कर्ज वहीं पत्नी बैनीबाई का रो-रोकर बुरा हाल था। उसका कहना है कि हम बैंक वालों से कुछ समय की मौहलत मांगते रहे लेकिन बैंक वाले बोलते थे मर जाओ तो तो कर्ज माफ हो जाएगा। उन्हें लगातार परेशान किया जाता रहा। पति कहते थे कि कर्जा वाले तंग कर रहे हैं मैं जी नहीं पाऊंगा। पत्नी के मुताबिक एक अन्य व्यक्ति से भी 50 हजार रुपए कर्ज लिया था। वह इसके बदले साढ़े तीन लाख रुपए मांग रहा था। मकान की किस्त चुकाने व पति के इलाज के दौरान यह कर्ज लेना पड़ा।

बैंक के समक्ष शव रखकर किया प्रदर्शन

इधर जिला अस्पताल से शव के पीएम के बाद परिजन शव को कलेक्टे्रट चौराहा स्थित बैंक के पास ले आए और बैंक के समक्ष रखकर प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान एसडीएम प्रवीण प्रजापति, तहसीलदार आशुतोष शर्मा, सीएसपी भारतभूषण शर्मा, सिविल लाइन टीआई सहित वार्ड पार्षद ब्रजेंद्र वर्मा आदि मौजूद रहे। परिजन बैंक कर्मचारियों पर एफआईआर, कर्जा माफ करने और रजिस्ट्री वापस दिलाने की मांग की जा रही थी। करीब एक घंटे चले इस प्रदर्शन के दौरान एसडीएम एवं सीएसपी ने परिजनों से आवेदन लिया और आश्वस्त किया कि आरोप एवं साक्ष्यों के आधार पर जो भी उचित कार्रवाई होगी वह की जाएगी। इसके बाद परिजन शव को घर ले गए।

इधर बैंक के ब्रांच मैनेजर वीरेंद्रसिंह परमार ने बताया कि तीन किस्त के बाद किस्त न मिलने पर नोटिस दिया जाता है। तीन साल पहले ऋण लिया था। दो वर्ष किस्त मिली फिर किस्त नहीं मिल रही थी। कस्टमर मकान बेंचने की बात कह रहा था। इसलिए नियमानुसार घर पर सूचना लिखवाई गई थी।

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