उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री अधोसंरचना में 40 लाख रुपय नगर परिषद को प्राप्त हुए थे, जिनका उपयोग नगर के विकास कार्यो के लिए किया जाना था, लेकिन इस राशि का कोई भी उपयोग नहीं हो पाया। इस कारण आखिरकार इतनी बड़ी राशि को शासन ने वापस मांग लिया है। मामला यहीं तक होता तो गनीमत थी। नपा को प्रतिवर्ष 2 करोड़ रुपए इसी मद से मिलना था, लेकिन भविष्य में नगर को मिलने वाली तमाम राशियों पर भी अंकुश लगवा दिया गया है। नगर परिषद के जिम्मेदारों ने कोई भी प्रोजेक्ट बना कर नहीं दिया। उन्होंने बताया कि नगर आयुक्त कहते हैं कि पूरे मप्र में शमशाबाद नगर परिषद अकेली परिषद है, जो विकास कार्यों के लिए मिलने वाली राशि को लेने या मांगने ही नही आए।
उन्होंने बताया कि नगर में कम्युनिटी हॉल बनाने के लिए वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री द्वारा 25 लाख रुपये नगर परिषद को दिए गए थे, लेकिन आज तक उस पैसे का कोई उपयोग नहीं हो सका। यह राशि भी शासन ने वापस मांग ली है। जल आवर्धन योजना में करीब सवा करोड़ रुपए का बिल ठेकेदार का बकाया है। बकाया बिल के कारण 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो जाने के बाद भी जलावर्धन योजना का लाभ नागरिकों को नहीं मिल पा रहा।
जिम्मेदारों पर होगी कार्यवाही
पूर्व विधायक अनुसार नपा के सीएमओ एवं लेखापाल द्वारा जमकर राशि का दुरुपयोग किया गया है। समस्त राशि समाप्त कर दी गई। बिना जरूरत के सामग्री खरीदकर नाजायज उपयोग किया गया है। बिजली का पोल जिसकी कीमत 7 हजार रुपये है उसे 22 हजार में खरीदा गया। जहां पोल लगाने की आवश्यकता थी, वहां ना लगाकर नगर की सीमा से बाहर तक पोल लगाए गए हैं। 800 रुपए में मिलने वाली ट्यूबलाइट 2200 रुपए में खरीदी गई हैं। कचरा गाड़ी, ट्रेक्टर, टेंकर आदि में भी काफी में काफी रुपए बर्बाद किया गया। इस सारे भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले की जांच के बाद नपा सीएमओ और लेखापाल का नपना तय है।।