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जिले में अपराध था शराब पीना और बेचना, आज 74 दुकानों पर बिक्री

locationविदिशाPublished: Sep 18, 2020 07:57:56 pm

Submitted by:

govind saxena

अब जगह-जगह शराब दुकानें और अवैध बिक्री भी खूब

vidisha

जिले में अपराध था शराब पीना और बेचना, आज 74 दुकानों पर बिक्री,जिले में अपराध था शराब पीना और बेचना, आज 74 दुकानों पर बिक्री

विदिशा. आजादी के बाद करीब 19 साल तक जिले में शराब पीनी, बेचना, खरीदना और लाना-ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित था। सख्ती ऐसी शुरू हुई थी कि जिले की सीमा के भी 16 किमी क्षेत्र में शराब की बिक्री प्रतिबंधित थी। जिले में पूरी तरह मद्य निषेध लागू था, लेकिन फिर 1967 में जिले से मद्य निषेध खत्म कर दिया गया और खुल गईं जगह-जगह शराब दुकान।
तत्कालीन मध्य भारत शासन ने जिले में पूर्ण मद्य निषेध की नीति स्वीकार कर ली थी और शुरुआत में मध्यभारत शासन ने मोहम्मदगढ़, पठारी और कुरवाई और फिर बाद में पूरे जिले में शराब, अफीम और गांजे का पूरी तरह निषेध लागू किया था। यह मद्य निषेध 1948 से शुरू हुआ। परिणाम स्वरूप जिले की सभी 74 देशी शराब दुकानों सहित अफीम-गांजा की दुकानों को बंद कर दिया गया। उस समय इनसे 2 लाख 35 हजार के करीब राजस्व मिलता था। हालांकि चिकित्सा प्रमाण पत्रों के आधार पर व्यसनी व्यक्तियों के लिए इन नशीले पदार्थों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई थी। 1 नवंबर 1956 को सिरोंज और लटेरी तहसीलों में भी मद्य निषेध लागू कर दिया गया था। मप्र के पुनर्गठन के बाद मध्य प्रांत और बरार मद्य निषेध अधिनियम जिले में लागू कर दिया गया। महुआ इस क्षेत्र में खूब पाया जाता था, लेकिन इससे शराब के अवैध आसवन की रोकथाम के लिए महुआ नियंत्रण नियम बनाकर भी जिले में लागू कर दिए गए।
मद्य निषेध लागू करने के बाद जिला स्तर पर मद्यपान विरोधी समिति बनी, जिसमें कलेक्टर अध्यक्ष बनाए गए, समिति में आठ सदस्य थे। तहसील स्तर पर और महत्वपूर्ण बड़े ग्रामों और शहरों में भी मद्यपान विरोधी समितियां गठित की गईं। पूरे जिले में हर साल 2 अक्टूबर को मद्य निषेध दिवस मनाया जाता था। शराब की तस्करी रोकने तथा मद्य निषेध सीमा के पार शराब की दुकानों पर जाने के प्रलोभन को कम करने की दृष्टि से इस जिले के आसपास के मद्य क्षेत्र में 8 किमी के भीतर सभी दुकानें बंद रखने की व्यवस्था की गई थी। 1951 में इन शराब दुकान विहीन क्षेत्रों की सीमा बढ़ाकर 16 किमी कर दी गई। शराब पीने, बेचने और लाने पर जुर्माने और जेल का प्रावधान था।
तत्कालीन मध्यभारत में केवल विदिशा जिला ही ऐसा था जिसमेें मद्य निषेध लागू किया गया था। यह तीन तरफ से मद्य क्षेत्रों से घिरा था, जिससे सफलतापूर्वक मद्य निषेध लागू करना मुश्किल हो रहा था। आसपास के मद्यक्षेत्र के व्यापारी नशे के शौकीनों को लालच और मौका देते थे, जो लोग नशा नहीं करते थे, वे भी तस्करी करने लगे, क्योंकि यह काम पैसों की दृष्टि से लाभदायक था। ये तस्कर कारों, जीपों और रिवाल्वरों से लैस रहते थे और अल्प संसाधनों वाले आबकारी बल तथा संभावित छापे का सामना कर सकते थ्ेा। केस बन भी जाते थे तो सामान्य रूप से कानूनी खामियों के कारण उन्हें सिद्ध करना मुश्किल होता था, ऐसे में लोग मामलों से बरी हो जाते थे। ऐसे मेें मध्यप्रदेश शासन ने 1 सितंबर 1967 से विदिशा जिले में भी मद्य निषेध समाप्त कर दिया और जिला फिर से मद्य क्षेत्र हो गया।
अब दो अरब सालाना राजस्व
जिले में अब देशी शराब की 54 तथा अंग्रेजी शराब की 20 दुकानें हैं। जिले में 194 करोड़ रूपए का राजस्व इन दुकानों से मिलता है। इसके अलावा शहर और गांव-गांव में खूब अवैध शराब बिक रही है। अवैध कारोबार पर अब भी प्रतिबंध है, लेकिन सब खुलेआम चल रहा है।
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