वाट्सएप के माध्यम से तर्क के निर्देश-सीजेएम सोलंकी
जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार और मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट रविकांत सोलंकी का कहना है कि वाट्सएप के माध्यम से तर्क देने के निर्देश हैं। न्यायाधीशों के वाट्सएप नंबर भी जिला अभिभाषक संघ के माध्यम से वकीलों को भेजे जा चुके हैं। इन दिनों वीडियो कॉलिंग के जरिए तर्क हो रहे हैं, वीडियो कांफ्रेंंसिंग के जरिए अभिभाषक अपने घर अथवा अपने कार्यालय से सुनवाई में हिस्सा ले रहे हैं। जरूरी होता है तो वे अपने कार्यालय में पक्षकार को बुलाकर उसे भी पेश करते हैं।
जिला अदालत में बने हैं 7 वीसी पाइंट
जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार सीजेएम रविकांत सोलंकी बताते हैं कि जिला न्यायालय में अभिभाषकों की सुविधा के लिए 7 वीडियो कांफे्रंसिंग पाइंट बनाए गए हैं। अर्जेन्ट मामलों में वीसी के माध्यम से सुनवाई में हिस्सा लिया जाता है। इसमें अपने घर बैठे ही अभिभाषक खुद भी मोबाइल से कनेक्ट हो सकते हैं। यहां तक कि अभिभाषक अपने लिखित बयान भी ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं, उन्हें अदालत में आने की आवश्यकता नहीं है। सीजेएम बताते हैं कि जिले के कई जागरुक अभिभाषक नई तकनीक का उपयोग कर अदालत आए बिना ही अदालत के काम निपटा रहे हैं। वर्क फ्राम होम की दिशा में यह समय और तकनीक बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी।
जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार और मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट रविकांत सोलंकी का कहना है कि वाट्सएप के माध्यम से तर्क देने के निर्देश हैं। न्यायाधीशों के वाट्सएप नंबर भी जिला अभिभाषक संघ के माध्यम से वकीलों को भेजे जा चुके हैं। इन दिनों वीडियो कॉलिंग के जरिए तर्क हो रहे हैं, वीडियो कांफ्रेंंसिंग के जरिए अभिभाषक अपने घर अथवा अपने कार्यालय से सुनवाई में हिस्सा ले रहे हैं। जरूरी होता है तो वे अपने कार्यालय में पक्षकार को बुलाकर उसे भी पेश करते हैं।
जिला अदालत में बने हैं 7 वीसी पाइंट
जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार सीजेएम रविकांत सोलंकी बताते हैं कि जिला न्यायालय में अभिभाषकों की सुविधा के लिए 7 वीडियो कांफे्रंसिंग पाइंट बनाए गए हैं। अर्जेन्ट मामलों में वीसी के माध्यम से सुनवाई में हिस्सा लिया जाता है। इसमें अपने घर बैठे ही अभिभाषक खुद भी मोबाइल से कनेक्ट हो सकते हैं। यहां तक कि अभिभाषक अपने लिखित बयान भी ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं, उन्हें अदालत में आने की आवश्यकता नहीं है। सीजेएम बताते हैं कि जिले के कई जागरुक अभिभाषक नई तकनीक का उपयोग कर अदालत आए बिना ही अदालत के काम निपटा रहे हैं। वर्क फ्राम होम की दिशा में यह समय और तकनीक बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी।
ये हैं जिला एवं सत्र न्यायाधीश के निर्देश…
जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्यामाचरण उपाध्याय ने जिले के न्यायाधीशों और अदालत के स्टॉफ सहित अभिभाषकों को निर्देश दिए हैं कि यदि लिखित रूप से तर्क प्रस्तुत करना संभव नहीं हो तब न्यायालय अधिकवक् ताओं को निर्देशित कर सकेेंगे कि वे न्यायालय आए बिना ही अपने निवास या कार्यालय से वीडियो एप्प या अन्य एप्प के माध्यम से सुनवाई में भाग लेते हुए अपने तर्क प्रस्तुत करें। यदि अधिवक््रता अपने निवास स्थान या कार्यालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से तर्क प्रस्तुत करने में असमर्थ है तो वे जिला न्यायालय और तहसील न्यायालयों में बने रिमोर्ट एक्सेस सपाइ ंट की सहायता से वीसी के माध्यम से सुचारू रूप से प्रकरण की सुनवाई में हिस्सा ले सकते हैं।
इनका कहना है…
कोविड 19 के कारण नया विकल्प मिला है्र। अदालतों में काम करने का तरीका भी काफी बदला है। गवाह नहीं आ पा रहे हैं या बाहर हैं तो अदालत में उनकी उपस्थिति जरूरी नहीं है। वीसी के माध्यम से वे अदालत की कार्रवाई में शामिल हो सकते हैं। हम भी वीसी के माध्यम से क्रास करते हैं। लिखित बहस भी ई-मेल के जरिए कर रहे हैं। आने वाले समय में यही सब काम आने वाला है।
-केजी माहेश्वरी, वरिष्ठ अभिभाषक
अदालतों में नई तकनीक से काम श्ुा्ररू हुआ है। इससे समय भी बचेगा और भागमभाग भी। वीडियो कांफें्रसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखना और ईमेल आदि के जरिए अपनी लिखित बहस को अदालत में पहुंचाने से काम आसान हुआ है। इसे नए विकल्प के रूप में लिया जा रहा है। आने वाले दिनों में इसी तकनीक से अदालतों का ज्यादातर काम होने लगेगा।
-सरदार कृपाल सिंह अडक़, पूर्व सचिव अभिभाषक संघ विदिशा