आर्मी भर्ती के दौरान सोमवार को छठवें दिन सीहोर जिले के कुल 5 हजार 81 अभ्यर्थियों का पंजीयन हुआ था। इनमें से 3 हजार 729 अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए। वहीं 411 हाईट कम होने की वजह से पहले राउंड में ही बाहर हो गए। वहीं 3 हजार 318 अभ्यर्थी दौड़ में शामिल हुए। इनमें से कुल 432 अभ्यर्थी ही दौड़ में सिलेक्ट हो सके। इन्हीं 432 अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का जब ऑनलाइन सत्यापन और जांच हुई तो 12 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए। जिसके चलते इन सभी 12 अभ्यर्थियों से माफीनामा लिखवाकर इन्हें भर्ती प्रक्रिया से बाहर किया गया। मालूम हो कि एक दिन पूर्व ही छिंदवाड़ा और भोपाल के अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे। इनमें से 86 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए थे।
इस तरह पकड़ाए फर्जी दस्तावेज
जब आर्मी अधिकारियों ने दस्तावेजों का ऑनलाइन रिकार्ड जांचा, तो एक-एक कर 12 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए। कई अभ्यर्थियों की 10, 12 वीं की अंकसूची और आधारकार्ड में नाम में अंतर था, तो किसी के पते में। इसी प्रकार एक अभ्यर्थी खंडवा भर्ती रैली में शामिल हो चुका था और यहां भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ, लेकिन आर्मी अधिकारियों ने ऑनलाइन रिकार्ड देखा, तो यह बात पकड़ में आ गई।
जब आर्मी अधिकारियों ने दस्तावेजों का ऑनलाइन रिकार्ड जांचा, तो एक-एक कर 12 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए। कई अभ्यर्थियों की 10, 12 वीं की अंकसूची और आधारकार्ड में नाम में अंतर था, तो किसी के पते में। इसी प्रकार एक अभ्यर्थी खंडवा भर्ती रैली में शामिल हो चुका था और यहां भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ, लेकिन आर्मी अधिकारियों ने ऑनलाइन रिकार्ड देखा, तो यह बात पकड़ में आ गई।
सीहोर में बने हैं ये फर्जी दस्तावेज
फर्जी दस्तावेजों के साथ पकड़ाए अभ्यर्थियों से जब आर्मी अधिकारियों ने पूछताछ की तो सामने आया कि सीहोर की प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट सेंटर द्वारा यह फर्जी दस्तावेज बनाए गए थे। जिनकी कीमत नौ हजार से साढ़े बारह हजार रुपए रही। जबकि एक दिन पूर्व पकड़े गए अभ्यर्थियों के दस्तावेज भोपाल के हुजूर में बने थे।
फर्जी दस्तावेजों के साथ पकड़ाए अभ्यर्थियों से जब आर्मी अधिकारियों ने पूछताछ की तो सामने आया कि सीहोर की प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट सेंटर द्वारा यह फर्जी दस्तावेज बनाए गए थे। जिनकी कीमत नौ हजार से साढ़े बारह हजार रुपए रही। जबकि एक दिन पूर्व पकड़े गए अभ्यर्थियों के दस्तावेज भोपाल के हुजूर में बने थे।