scriptअतिक्रमण: सैकड़ों बीघा जमीन पर हुआ कब्जा | Encroachers: Hundreds of acres land was occupied | Patrika News

अतिक्रमण: सैकड़ों बीघा जमीन पर हुआ कब्जा

locationविदिशाPublished: Jan 22, 2016 05:13:00 am

Submitted by:

Jagdeesh Ransurma

विदिशा/गंजबासौदा। नक्शा नबीजों और पुराने राणनीतिकारों ने शहर को एक खूबसूरत बनाने की पूरी कोशिश की थी और हर चीज के लिए एक जगह तय कर रखी थी। लेकिन अतिक्रमण कारियों की बुरी नजर का नतीजा है कि सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन को अतिक्रमणकारी और भूमाफिया दबाए बैठे हैं करोड़ों रूपए की इस जमीन पर […]

विदिशा/गंजबासौदा। नक्शा नबीजों और पुराने राणनीतिकारों ने शहर को एक खूबसूरत बनाने की पूरी कोशिश की थी और हर चीज के लिए एक जगह तय कर रखी थी। लेकिन अतिक्रमण कारियों की बुरी नजर का नतीजा है कि सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन को अतिक्रमणकारी और भूमाफिया दबाए बैठे हैं करोड़ों रूपए की इस जमीन पर कब्जा हो चुका है और इस सरकारी जमीन पर कई आलीशान बिल्डिंगे तन चुकी है।

हालांकि सरकारी दस्तावेजों में यह जमीन आज भी मैदान के रूप में है और जिस चीज के लिए तय कर दी गई थी वह उसी के नाम पर आज भी इंद्राज है। अतिक्रमणकारियों की करोड़ों की जमीन पर किस तरह से नियत डोली है इसकी एक बानगी देखने मिली है जहां कब्रिस्तानों के लिए सरकारी दस्तावेजों में करीब 18 बीघा जमीन तय थी लेकिन वर्तमान में इस जमीन पर भी कई मकान बन चुके हैं। इसी तरह पुरातत्व की मिशाल बने नगर के मध्य स्थित मकबरा के लिए भी ढाई बीघा जमीन आबंटित थी। जो आज मौके से नदारत है।

एक श्मशान घाट की जमीन हुई गायब

एक चौकाने वाला पहलु यह भी सामने आया कि जहां मुक्तिधाम के लिए लोग दान करने से पीछे नहीं हटते वहीं भूमाफियों की बुरी नजर मुक्तिधाम की जमीन तक पर पड़ चुकी है। वहीं इस कीमती जमीन सौदा तक कर दिया है।

सरकारी दस्तावेज से मिली जानकारी के मुताबिक शहर में दो मुक्तिधाम के लिए करीब 4 बीघा जमीन आबंटित की गई थी। वर्तमान में एक मुक्तिधाम जो पारासरी के पास है के अलावा राजेन्द्रनगर क्षेत्र में भी श्मशान के नाम से शासकीय भूमि आबंटित थी।

सिकुड़ गया पुराना मेला ग्राउंड

पारासरी के किनारे हाट बाजार और सालाना मेले के लिए पुराने समय से ही शासकीय 18 बीघा जमीन व्यवस्थित की गई थी। लेकिन नगर के अतिक्रमणकारियों और अधिकारियों की सांठ-गांठ ने मेला ग्राउंड को इतना छोटा कर दिया कि अब उसमें साप्ताहिक हाट बाजार भी नहीं लग पाता। इस प्रांगण में वर्तमान में सार्वजनिक भवनों के अलावा नगर पालिका ने भी अपना भवन बना लिया है। शहर के मध्य वेशकीमती जमीन को मेले और हाट बाजार से हटाकर अन्य उपयोग में ले लिया गया है।

पहले उपलब्ध थी भरपूर जगह

जिले के सबसे व्यवस्थित माने जाने वाले शहर को जैसे अतिक्रमणकारियों की नजर लग गई है। बासौदा नगर में जहां कुए और बावडिय़ों की भरमार थी। वहीं पुरातत्व से जुड़े हुए कर्ईं मंदिर और स्मारक पुराने स्वर्णिम इतिहास की गाथा गाते हैं।

शहर को व्यवस्थित करने के लिए पुराने नीति कारों और नक्शा नबीजों ने शहर को सभी सुविधाओं के लिए जमीन आबंटित की थी। इस नगर में जहां पर मंदिर, मस्जिद और मकबरा के लिए जमीन आबंटित की गई थी। वहीं शासकीय सुविधाएं जैसे पुलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, तहसील, बालक और बालिकाओं के लिए भी शासकीय जमीन मुहैया कराई गई थी।

नगर की चौड़ी सड़कों के अलावा यहां पर पुराने मेला ग्राउंड के रूप में जाने जाने वाले करीब 16 बीघा के क्षेत्र को साप्ताहिक हाट बाजार और मेले के लिए व्यवस्थित किया गया था जो वर्तमान में सिकुड़ गया है। स्थितियां इतनी बिगड़ गई हैं कि हाट बाजार को नए मेला ग्राउंड में स्थानांतरित करना पड़ा। अतिक्रमण के चलते नगर की सड़कों से लेकर गलियों तक का बुरा हाल है।
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