किसानों ने बताया कि प्रशासन की निष्क्रियता के कारण इस बार यह पानी मिलना कठिन लग रहा और ऐसे में उनकी बोवनी संकट में आ गई है।
एक सप्ताह पहले नहर में पानी छोड़ा गया पानी….
हलाली बांध से एक सप्ताह पहले नहर में पानी छोड़ा गया, लेकिन यह पानी अब तक टेल क्षेत्र में नहीं पहुंचा है। ऊपर हेड क्षेत्र में ही किसान पानी का उपयोग कर रहे और यहां नहर में पानी नहीं आ पा रहा।
किसानों ने बताया कि नहर से देरी से पानी छोड़ा गया और अभी नहर टेल क्षेत्र से 16 किमी दूर है। पानी भी कम मात्रा में छोडऩे से टेल क्षेत्र में पानी पहुंच पाना इस बार आसान नहीं लग रहा। कुछ दिन और ऐसी ही स्थिति रही तो इस क्षेत्र के करीब 17 गांव में बोवनी कार्य प्रभावित होगा। किसानों को अपने खेत खाली छोडऩे की नौबत बन जाएगी।
नियम का नहीं पालन…
नहर में पानी छोडऩे का नियम बना हुआ है। इसके तहत पहले टेल क्षेत्र और फिर हेड क्षेत्र में पानी दिया जाना चाहिए, लेकिन सिंचाई विभाग कभी भी इस नियम का पालन नहीं कर पाया।
लोगों का कहना है कि आचार संहिता के कारण न तो जनप्रतिनिधि उनकी सुन रहे न ही अधिकारी ध्यान दे रहे। ऐसे में वे असहाय हैं और इस बार बोवनी कर पाना किसानों को मुश्किल लग रहा है।
आफत में ये गांव
इस टेल क्षेत्र में देवखजूरी, दास खजूरी, गड़ला, मूंडरा, अंडिया, परसौरा, दीताखेड़ी, अमऊखेड़ी, सांकलखेड़ा, हितौतिया, कोलिंजा, छापखेड़ा आदि गांव करीब 17 गांव हैं। इन गांव के खेतों में नहर डी-4 से पानी पहुंचता है। किसानों के मुताबिक यह नहर करीब 19 किलोमीटर की है। एक सप्ताह पूर्व नहर में पानी छोडऩे पर चार-पांच दिन में पानी आ जाना था, लेकिन अभी नहर सूखी हुई है।
सिंचाई विभाग में अधिकारियों की जवाबदेही नहीं होने से नहर के पानी में हमेशा ही मनमानी होती है। नहर में पानी छोडऩे में नियम का कभी पालन नहीं होता। पानी को लेकर पेट्रोलिंग नहीं होती। कोई देखने सुनने वाला नहीं है।
-भूपेंद्र रघुवंशी, पूर्व जल संस्था अध्यक्ष
नहर में पानी नहीं आने से किसान बहुत नाराज हैं। पानी के लिए दवाब बना रहे हैं। विभाग को पत्र भी लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही, जबकि पिछले वर्ष इस क्षेत्र में 20 दिन पहले बोवनी हो चुकी थी।
-रमेश यादव, जल उपभोक्ता अध्यक्ष, दुपारिया
8 नवंबर से नहरों में 900 घन फीट पानी छोड़ा है। अभी खामखेड़ा क्षेत्र में पानी चल रहा। तीन-चार दिन में नहर में पानी बढ़ेगा।
-एसके जैन, एसडीओ, सिंचाई, विभाग