scriptशिव मंदिर की चौखट पर नरमुण्ड लिए बैठी हैं देवी चामुंडा | Chamunda is sitting on the doorstep of Shiva temple with Narmund | Patrika News

शिव मंदिर की चौखट पर नरमुण्ड लिए बैठी हैं देवी चामुंडा

locationविदिशाPublished: Apr 25, 2022 09:51:47 pm

Submitted by:

govind saxena

Lateriयहां गर्भग्रह की चौखट पर सप्तमातृका की प्रतिमाओं में देवी कंकाली, यमी और चामुंडा सहित अन्य देवियों की प्रतिमाओं का स्वरूप रोमांचित करती हैं

शिव मंदिर की चौखट पर नरमुण्ड लिए बैठी हैं देवी चामुंडा

मंदिर के गर्भग्रह की चाैखट पर हाथ में नरमुंड लिए देवी चामुंडा

विदिशा. विदिशा जिला अदभुत शिवालयों, शिल्प और कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां शैव संप्रदाय के अनुयायी परमार राजाओं ने भी खूब राज किया और जगह-जगह शिव मंदिरों का निर्माण भी कराया। शिव मंदिरों की खास बात यह थी कि जहां-जहां परमारकालीन शिवालय बने, वहां शिव के साथ-साथ शक्ति यानी देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं अवश्य बनीं। शिव परिवार में गणेश भी खूब दिखे। उस समय सप्तमातृका की पूजा का चलन था, इसलिए गर्भग्रह में प्रवेश से पहले ही चौखट पर गणेश और वीरभद्र के साथ सप्तमातृका की प्रतिमाओं का अंकन जरूर दिखता था। ऐसा ही अनूठा शिवालय है लटेरी का छोटी मदागन सिद्धेश्वर मंदिर। यहां गर्भग्रह की चौखट पर सप्तमातृका की प्रतिमाओं में देवी कंकाली, यमी और चामुंडा सहित अन्य देवियों की प्रतिमाओं का स्वरूप रोमांचित करती हैं। खासकर यहां हाथ में नरमुंड लिए देवी चामुंडा की प्रतिमा अलग ही नजर आती है। विदिशा जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर लटेरी में यह मंदिर छोटी मदागन के नाम से विख्यात है। यह शिव मंदिर 11 वीं शताब्दी में निर्मित बताया जाता है। बाद में मुगलों ने इसे काफी क्षति पहुंचाई और फिर होल्कर वंश की महारानी अहिल्या बाई ने इसका जीर्णोंद्धार कराया। अब भी मंदिर के बाहरी हिस्से की काफी प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त नजर आती हैं। गर्भग्रह के दोनों ओर शैव द्वारपाल शिवगणों के रूप में त्रिशूल लिए दिखाई देते हैं। मंदिर में गणेश, ब्रम्हा, विष्णु और देवी के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन होते हैं। कई जगह शिव-पार्वती की प्रतिमाएं मौजूद हैं। लटेरी का यह छोटी मदागन मंदिर अपने अद्भुत शिल्प और मंंदिर की निर्माण शैली के कारण भी महत्वपूर्ण है।
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