चार दिन पहले जब 12 साल के दिनेश(परिवर्तित नाम)से पेटिस रखने का ओवन टूट गया तो ठेला मालिक ने उसकी बेरहमी से पिटाई की। बाल कल्याण समिति ने जब बच्चे की काउंसलिंग की तो खुलासा हुआ कि 9 माह से बच्चे को एक पैसा नहीं दिया गया, जबकि उसे सौ रुपए रोज मजदूरी का कहकर लाए थे।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बताया कि बच्चे की पिटाई के बारे में अब तक जो बातें सामने आर्इं थीं, वे सब गलत थीं। उस दिन बताया गया था कि बच्चे को उसके भाई ने ही पीटा है, जबकि यह सच नहीं है। बच्चे को पीटने वाला ठेला मालिक है, जो बच्चे को राजस्थान से 9 माह पहले लाया था। यह मामला बाल मजदूरी और बंधुआ मजदूरी का हो सकता है। इस पर प्रशासन को गंभीरता से कार्रवाई करना चाहिए।
जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष मंजरी जैन ने बताया कि घटना के बाद बच्चे को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया था। बच्चे की लगातार तीन दिन काउंसलिंग की गई। जो बच्चे ने बताया वह चौंकाने वाला था। बच्चे दिनेश ने बताया कि लक्ष्मण दांगी और शांतिलाल दांगी विदिशा में फास्ट फूड का ठेला लगाते हैं। वे करीब 9 माह पहले राजस्थान के चित्तौड़ से दिनेश को उसके पिता से यह कहकर ले आया था कि सौ रुपए रोज मिलेंगे और काम सीख जाएगा तो दो सौ रुपए रोज देंगे। गरीब पिता ने भेज दिया। दिनेश की बुआ का लड़का भी इन्हीं के ठेले पर काम करता था, इसलिए पिता ने भेज दिया।
नन्ही सी जान पर इतने जुल्म:
दिनेश ने काउंसलिंग में बताया कि वह पढ़ता नहीं है। सुबह 5 बजे से पानी भरना, बर्तन मांजने सहित और काम करने के बाद दोपहर 3 बजे से रात 11:30 बजे तक ठेले के काम से निपटता, रात 12 बजे तक घर पहुंचते और फिर खाना खाकर सोते-सोते 1 बजे जाता।
दिनेश ने काउंसलिंग में बताया कि वह पढ़ता नहीं है। सुबह 5 बजे से पानी भरना, बर्तन मांजने सहित और काम करने के बाद दोपहर 3 बजे से रात 11:30 बजे तक ठेले के काम से निपटता, रात 12 बजे तक घर पहुंचते और फिर खाना खाकर सोते-सोते 1 बजे जाता।
घटना के दिन 18 अगस्त को दिनेश से काम करते समय कांच का ओवन टूट गया था, जिस पर शांतिलाल दांगी ने उसकी डंडों से बेरहमी से पिटाई की, जिसके निशान चार दिन तक उसकी पीठ पर गवाही देते रहे। कांउसलिंग के बाद समिति ने दिनेश के पिता को भी बुला लिया। पिता अपने बच्चे को ले जाना चाहते हैं।
बच्चे की पिटाई उसके भाई ने नहीं, बल्कि ठेला मालिक ने की थी। नौ माह से मजदूरी की कोई राशि बच्चे को नहीं दी है। वह पढ़ता नहीं है, उससे बहुत काम लिया जाता है। पुलिस कार्रवाई की पड़ताल कर रही हूं। श्रम अधिकारी और कलेक्टर को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जा रहा है।
– मंजरी जैन, अध्यक्ष जिला बाल कल्याण समिति विदिशा