इस दौरान सागर जिले से आए फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंशुल राय ने कहा कि चिटफंड कंपनियों को चलाने का लायसेंस सरकार ने दिया, जिससे प्रदेशभर में १० लाख से अधिक एजेंटों के माध्यम से एक करोड़ 25 लाख निवेशकों ने करीब चार हजार करोड़ रुपए जमा किए। फिर सरकार ने ही इन कंपनियों को बंद कर इनकी संपत्तियां कुर्क कर लीं।
इसलिए अब इन संपत्तियों को बेचकर सरकार को ही सभी निवेशकों का जमा रुपया वापस दिलाना चाहिए। राय ने कहा कि सरकार द्वारा इन कंपनियों को लायसेंस दिए जाने के कारण निवेशकों ने इन कंपनियों पर विश्वास किया और जीवनभर की कमाई इनमें जमा की। लेकिन बीच में अचानक इन कंपनियों को सरकार द्वारा बंद कर दिए जाने से निवेशकों के सामने संकट खड़ा हो गया।
कई लोगों ने अपनी बेटियों की शादी, तो किसी ने मकान लेने या किसी ने बच्चों के भविष्य के लिए रुपए इन कंपनियों में जमा किए थे, लेकिन कंपनियां बंद होने से इनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। इसलिए सरकार को रुपए वापस दिलाने कि दिशा में कार्य करना चाहिए।भोपाल संभाग के अध्यक्ष विपिन्न पीतलिया सहित अन्य पदाधिकारियों का कहना था कि यदि चुनाव के पूर्व सरकार निवेशकों के रुपए वापस दिलाने में कदम नहीं उठाया गया तो सभी एजेंट और निवेशक चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
बलपूर्वक हटाए जाने का विरोध
धरने के पहले दिन ही बैठे निवेशकों और अभिकर्ताओं द्वारा नीमताल से हटाकर जेल में भेज दिया था। जहां महिलाओं को भूखा रहना पड़ा, ऐसे में कुछ एजेंट और निवेशक बीमार हुए। जिसकी धरने के दौरान प्रदेशभर से आए अभिकर्ताओं ने निंदा की।
बेरोजगारी से तंग 23 कर चुके आत्महत्या
वक्ताओं का कहना था कि चिटफंड कंपनियां बंद होने से प्रदेशभर के १० लाख अभिकर्ता जहां बेरोजगार हुए। वहीं उनके परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया। वहीं निवेशकों द्वारा एजेंटों पर रुपए वापस करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जिससे तंग आकर प्रदेशभर में विगत ढाई साल में23 एजेंट आत्महत्या कर चुके हैं।
अब कोई एजेंट यह आत्मघाती कदम नहीं उठाए इसलिए सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए। इस दौरान संस्था के राष्ट्रीय सचिव वीके बैरागी, प्रदेश महासचिव जेपी कारपेंटर, जिलाध्यक्ष लाखन मीणा सहित विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी बात रखी। धरने में बुधवार को ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, रायसेन, सागर, राजगढ़, नीमच सहित प्रदेश के कई जिलों से अभिकर्ता शामिल हुए।