दीपावली का त्यौहार धनतेरस से शुरू हो जाता है और दूज तक चलता है, इन दिनों बिजली की खपत रोजमर्रा की खपत से करीब 10-15 प्रतिशत बढ़ जाती है। लेकिन अगर खास दीपावली के त्यौहार की बात करें तो सिर्फ वह दिन और रात ऐसी होती है जब रोज की तुलना में बिजली की खपत काफी कम होती है। इसके पीछे कारण यही है कि दीपावली पर औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाली बिजली की खपत की पूरी बचत होती है।
अधिकांश कारखाने पूरी तरह बंद रहते हैं
अधिकांश कारखाने पूरी तरह बंद रहते हैं और उनमें कोई काम नहीं होता जिससे बड़ी मात्रा में इनमें खपत होने वाली बिजली पूरी तरह बच जाती है, जबकि आम दिनों में यही खपत काफी ज्यादा होती है। इसी तरह खेतों में चलने वालीं सर्वाधिक लोड वाली बिजली मोटरें भी इस बार अतिवृष्टि के कारण नहीं चलेंगी। कारण अतिवृष्टि के कारण खेतों में अभी भी बहुत नमी है, कई खेतों में पानी भरा है।
किसी तरह के मोटर पम्प नहीं चलते
वैसे भी दीपावली के दिन किसान खेतों में बहुत कम जाते हैं और किसी तरह के मोटर पम्प नहीं चलते। इन औद्योगिक क्षेत्र के कारखानों, खेतों में चलने वाली मोटरों की तुलना में घर-शहर को रोशन करने वाली झालरों और बल्बों में बिजली की खपत बहुत कम होती है।
महाप्रबंधक शर्मा बताते हैं कि दीपावली के त्यौहार को छोड़ दें तो बाकी धनतेरस, रूप चौदस, यम द्वितीया और फिर देव उठनी ग्यारस पर रोजमर्रा की बिजली खपत से करीब 10-15 प्रतिशत का लोड बढ़ता है। उन्होंने बताया कि बिजली कंपनी ने दीपावली पर किसी भी तरह से बिजली बाधित न होने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं, यदि किन्हीं विशेष कारणों से बिजली आपूर्ति बाधित भी होती है तो उसे तत्काल बहाल किया जाएगा।