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कॉलेज का केंचुआ पालन केन्द्र बंद

locationविदिशाPublished: Jun 22, 2018 08:49:06 am

कृषि महाविद्यालय शहर में सबसे पहले पुराना मेला ग्राउंड स्थित महावीर धर्मशाला में शुरू किया गया था। इसके बाद 2014 में भवन बनने के उपरांत जेल रोड स्थित स्वयं के परिसर में शिफ्ट कर दिया गया।

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विदिशा/गंजबासौदा. कृषि महाविद्यालय शहर में सबसे पहले पुराना मेला ग्राउंड स्थित महावीर धर्मशाला में शुरू किया गया था। इसके बाद 2014 में भवन बनने के उपरांत जेल रोड स्थित स्वयं के परिसर में शिफ्ट कर दिया गया। परिसर में केंचुआ पालन केन्द्र भी 2014 में बनाया गया है लेकिन वह अभी तक शुरू नहीं हो सका है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंचुआ पालन केन्द्र का निर्माण अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है। जिसके चलते केन्द्र पर केंचुआ पालन नहीं हो पा रहा है।

केंचुआ पालन से उर्वरक शक्ति युक्त खाद का निर्माण किया जाता है। इस खाद का निर्माण कैसे किया जाता है इसकी जानकारी कालेज में अध्ययनरत विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रही है जिससे आगे भविष्य में उन्हे जानकारी का अभाव रहेगा और वह खाद कैसे बनाए जाना है वह नहीं बना पाएंगे। क्योंकि उन्हे पढ़ाई के दौरान उसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है।

लगभग दो से तीन बैच अधूरी पढ़ाई करके ही यहां से जा चुके हैं उन्हे भी खाद की संपूर्ण जानकारी नहीं मिली और जो विद्यार्थी अभी अध्ययनरत हैं उन्हे भी जानकारी नहीं मिल पा रही है क्योंकि अधूरे निर्माण के चलते केंचुआ पालन केन्द्र शुरू नहीं हो सका है।

विशेषज्ञों की माने तो बने हुए केेंचुआ पालन केन्द्र के ऊपर छाया की व्यवस्था होनी थी। लेकिन केन्द्र के ऊपर अभी तक छाया की व्यवस्था नहीं हो सकी है जिसके चलते केंचुओं का पालन नहीं हो पा रहा है और विद्यार्थियों को जानकारी नहीं मिल पा रही है।

केंचुओं से बनता है उर्वरक खाद
बने हुए केन्द्र में बॉक्सों के अंदर गंदी मिट्टी डालकर उनमें केंचुए छोड़े जाते हैं और कुछ समय बाद उस मिट्टी को निकालकर छानने के बाद केंचुओं को दूसरे बॉक्स में डाल दिया जाता है और बना हुआ खाद खेतों में डाल दिया जाता है जिससे कि फसलों की उर्वरक क्षमता बढ़ती है साथ ही यह खाद खेतों की मिट्टी को भी मुलायम कर देता है जिससे मिट्टी अच्छी होती है और पैदावार अधिक होती है।

बाजार में बिकने वाले खाद की तुलना में केंचुआ पालन केन्द्र में तैयार किए गए खाद अच्छा माना जाता है ऐसा कृषि विशेषज्ञों का मानना है साथ ही पूर्व में घरों पर ही खाद बनाकर खेतों में डाला जाता था जिससे पैदावार अधिक होती थी लेकिन अब बाजार से खरीदा हुआ खाद खेतों में डाला जाता है जिससे पैदावार भी कम होती है और मिट्टी खराब होती है।

नहीं हो पार रहा मिट्टी का परीक्षण
कृषि महाविद्यालय में मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशाला भी बनाई गई है जिससे कि किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच इस प्रयोगशाला में की जा सके। लेकिन किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कृषि महाविद्यालय में बनी प्रयोगशाला में नहीं हो पा रही है। क्योंकि प्रयोगशाला छोटी है और उसमें मिट्टी जांच करना संभव नहीं है।

जिससे किसानों को भी परेशान होना पड़ रहा है। साथ ही जब तक विद्यार्थी पढ़ाई के दौरान मिट्टी का परीक्षण नहीं करेंगे तब तक वह कैसे सीखेंगे कि मिट्टी का परीक्षण कैसे किया जाता है और इस मिट्टी में क्या कमी है और क्या डालने पर इसकी कमी दूर हो सकती है। कृषि महाविद्यालय में विद्यार्थियों को संपूर्ण जानकारी सुविधाओं के अभाव में प्राप्त नहीं हो पा रही है।

-केंचुआ पालन केन्द्र हमने नहीं बनवाया है, आप डीन से बात करें। वहीं डीन से संपर्क किया तो उनका मोबाइल नंबर बंद था। – पीके सिंह, ईई जबलपुर

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