इस दौरान निशक्तता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन लेकर आने वालों को यहां मौजूद मेडिकल बोर्ड के काउंटर पर भेजा जा रहा था। यहां आवेदक की तस्वीर, आधार कार्ड, मतदाता परिचय पत्र आदि लेकर उनके प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे। अनेक आवेदक रोजगार एवं नौकरी के आवेदन लेकर पहुंचे इन आवेदकों से चर्चा कर उन्हें उद्योग विभाग के कर्मचारियों के पास भेजा गया।
नौकरी या व्यवसाय की उम्मीद लेकर यहां आए सागरपुलिया क्षेत्र निवासी करीब 29 वर्षीय सुरेंद्र खटीक ने बताया कि वह कक्षा 12वीं तक शिक्षित है। रोजगार व नौकरी के बहुत प्रयास किए लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। उद्योग विभाग के कर्मचारियों ने व्यवसाय के लिए बैंक से लोन दिलाने के लिए आश्वस्त किया। इसी तरह बैस टीला निवासी युवक मनोज बैरागी का कहना रहा उसे 300 रुपए पेंशन मिलती है। वह भी रोजगार की उम्मीद में आया था। वहीं महिला पूनाबाई मोगिया ने बताया कि उसे 150 रुपए पेंशन करीब पांच साल मिली और अब एक साल से बंद है। इन सभी की समस्याओं को सुन संबंधित विभागों के अधिकारियों के पास इन्हें भेजा गया।
160 आवेदक आए, 69 के प्रमाणपत्र बने
सामाजिक न्याय विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मोबाइल कोर्ट में 160 लोगों ने अपना पंजीयन कराया। इस दौरान निशक्तता के 69 प्रमाण पत्र बनाए गए वहीं दो आवेदकों को व्हील चेयर दी गई। शेष आवेदनों को संबंधित विभागों में समस्या हल करने हेतु दिए गए हैं।
सामाजिक न्याय विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मोबाइल कोर्ट में 160 लोगों ने अपना पंजीयन कराया। इस दौरान निशक्तता के 69 प्रमाण पत्र बनाए गए वहीं दो आवेदकों को व्हील चेयर दी गई। शेष आवेदनों को संबंधित विभागों में समस्या हल करने हेतु दिए गए हैं।
यह काउंटर रहे खाली
हॉल में आजीविका मिशन, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक, कृषि विभाग, महिला सशक्तिकरण, उद्यानिकी विभाग, लीड बैंक के काउंटर ज्यादातर समय खाली रहे। महिला सशक्तिकरण काउंटर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बैठी रहीं पर इन महिलाओं को नहीं मालूम था कि उन्हें क्यों बैठाया।
हॉल में आजीविका मिशन, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक, कृषि विभाग, महिला सशक्तिकरण, उद्यानिकी विभाग, लीड बैंक के काउंटर ज्यादातर समय खाली रहे। महिला सशक्तिकरण काउंटर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बैठी रहीं पर इन महिलाओं को नहीं मालूम था कि उन्हें क्यों बैठाया।
कैंप लगाकर बनवाएंगे प्रमाण-पत्र
इस मौके पर आयुक्त निशक्तजन रजक ने बताया कि यहां निशक्तों के प्रमाण पत्र न बनने के मामले अधिक आए हैं। इसके लिए कलेक्टर से चर्चा कर शिविर लगाकर यह प्रमाण-पत्र बनवाए जाएंगे। यहां जिला पुनर्वास केंद्र भी अधूरा है। पदों की पूर्ति नहीं हो रही। जिले के निशक्तजनों को उसका लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में काम कैसे होगा। जिला अस्पताल में निशक्तजनों को अलग से दवा वितरण खिड़की नहीं होने पर उन्होंने सिविल सर्जन से फोन पर चर्चा कर यह व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने कहा कि भोपाल तक दिव्यांग नहीं आ पाते थे, इसलिए जिला स्तर पर कोर्ट लगा रहे हैं।
इस मौके पर आयुक्त निशक्तजन रजक ने बताया कि यहां निशक्तों के प्रमाण पत्र न बनने के मामले अधिक आए हैं। इसके लिए कलेक्टर से चर्चा कर शिविर लगाकर यह प्रमाण-पत्र बनवाए जाएंगे। यहां जिला पुनर्वास केंद्र भी अधूरा है। पदों की पूर्ति नहीं हो रही। जिले के निशक्तजनों को उसका लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में काम कैसे होगा। जिला अस्पताल में निशक्तजनों को अलग से दवा वितरण खिड़की नहीं होने पर उन्होंने सिविल सर्जन से फोन पर चर्चा कर यह व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने कहा कि भोपाल तक दिव्यांग नहीं आ पाते थे, इसलिए जिला स्तर पर कोर्ट लगा रहे हैं।