इस स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन की ओपीडी 80 से 100 मरीजों की रहती है। लेकिन एक मात्र डॉक्टर होने के कारण यदि वे कहीं गए हों, तो मरीजों को उपचार करवाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में समय पर उपचार के अभाव में कई बार मरीजों की जान पर बन आती है।
झोलाझाप डॉक्टर के यहां जब मरीज मजबूरन उपचार करवाने पहुंचता है, तो यह इनसे मनमानी फीस वसूलते हैं और अधिकांश दवाएं भी स्वयं के पास ही ही महंगे दामों पर देते हैं। जिससे उपचार के नाम पर यहां मरीजों और उनके परिजनों की जेबें ढीली करने का काम भी खूब चल रहा है। इसके बावजूद मरीजों का ठीक से उपचार जब नहीं तो पाता, तो वे अपने को ठगासा महसूस करते हैं और फिर जिला अस्पताल का रूख करते हैं। या मरीज की हालत सुधरने की बजाए ज्यादा बिगडऩे पर उन्हें जिला अस्पताल जाने की सलाह देते हैं।
मालूम हो कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त डॉक्टर की पदस्थापना की मांग को लेकर क्षेत्र के नागरिक पूर्व में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही छह माह पूर्व प्रभारी मंत्री को भी ज्ञापन सौंप चुके हैं। लेकिन इस दिशा में शासन-प्रशासन द्वारा अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है और क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या जस की तस बनी हुई है।
ग्यारसपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त डॉक्टर के इंतजाम जल्द किए जाएंगे। वहीं बगैर डिग्री आदि के यदि झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का उपचार कर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, जोा जांच कर कार्रवाई की जाएगीय।
– केएस अहिरवार, सीएमएचओ, विदिशा