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कांग्रेस-भाजपा में कांटे की टक्कर

locationविदिशाPublished: Sep 07, 2018 01:59:45 pm

कुरवाई के गणित में विशेष रूप से अनुसूचित जाति की उपजातियां असर डालती हैं।

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कांग्रेस-भाजपा में कांटे की टक्कर

विदिशा. जिले की कुरवाई विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के विधायक बदलते रहे हैं। यहां कभी भी भाजपा या कांग्रेस का लम्बे समय तक कब्जा नहीं रहा। भाजपा के वीरसिंह पंवार मौजूदा विधायक हैं।
इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा ने 55 फीसदी मतदान केन्द्र हारे थे, लेकिन दूसरे मतदान केन्द्रों पर अच्छी जीत के कारण भाजपा कुरवाई जीतने में सफल रही थी। कुरवाई का गणित विशेष रूप से मुस्लिम और दलित वोटों पर निर्भर रहा है। इसमें भी अनुसूचित जाति की उपजातियां असर डालती हैं। इस बार यहां भाजपा से विधायक वीरसिंह पंवार के साथ ही अनिल सोनकर तथा हरिसिंह सपे्र के नाम दावेदारों में गिने जा रहे हैं।
उधर कांग्रेस से पूर्व राज्यमंत्री रघुवीर सिंह सूर्यवंशी क्षेत्र के जातीय गणित समिकरण के आधार पर मजबूत माने जा रहे हैं। लेकिन पूर्व विधायक पानबाई का दावा भी पिछले चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के कारण मजबूत है।
वहीं संदीप सपे्र हाल ही में कांग्र्रेस जनजागरण यात्रा और सुभाष बोहत अपने मिशन कुरवाई और दो बेटियों को जिपं सदस्य का चुनाव जिता ले जाने के बाद से प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। वहीं दोनों पार्टियों में गुटबाजी भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। दोनों दलों के नेता अपने को आगे करने के लिए दूसरों को निपटाते रहे हैं।
किस-किस की दावेदारी
– वीरसिंह पवांर भाजपा, वर्तमान विधायक होने के नाते दावेदारी है।
– अनिल सोनकर भाजपा, पूर्व विधायक के परिवार से हैं।
– हरिसिंह सप्रे भाजपा, पूर्व विधायक हैं और वर्तमान में जिला महामंत्री भी हैं।
– रघुवीरसिंह सूर्यवंशी कांग्रेस, विधायक और पूर्व मंत्री रह चुके हैं।
– पानबाई पंथी कांग्रेस, पूर्व विधायक, पिछला चुनाव कम अंतर से हारीं थीं।
संदीप सप्रे कांग्रेस, युवा हैं, जनजागरण रैली निकालकर क्षेत्र में घूम चुके हैं।
सुभाष बोहत कांग्रेस, कई वर्ष से मिशन चुनाव लिए घूम रहे हैं।
मुद्दे जो चर्चा मेंं हैं
1. पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि
2. कर्जा माफी, सरकारी योजनाएं
3. कृषक समस्याएं, भ्रष्टाचार
4. बेरोजगारी, उद्योग धंघे न होना
5. भ्रष्टाचार का पैर पसारते जाना
6. किसान समस्याओं का हल न होना
7. योजनाओं का लाभ मिलना
8. सड़क की सुविधाओं का अभाव
बदलते समीकरण
1. धूलमुक्त शहर का वादा नहीं हो पाया पूरा
2. भ्रष्टाचार और पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि
3. गांव-गांव अवैध शराब और ड्रग्स का धंधा बढऩा
4. सूखा राहत, फसल बीमा का हजारों किसानों को लाभ
5. क्षेत्र में बढ़ते अपराध और अपराधियों पर लगाम न लगना
पिछले चुनाव में कितने थे दावेदार
08 दावेदार थे, जातीय समीकरण मुख्य कारण बना।

क्षेत्र में विकास कार्य बहुत पिछड़े हुए हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। अपराधों पर अंकुश नहीं है

– गजराज सिंह, समाजसेवी
व्यापारी समस्याओं का निराकरण होना चाहिए। पेट्रोल डीजल के दामों से चौतरफा नाराजी है।

– संतोष जैन, व्यापारी

विकास कार्य प्रभावित हुए हैं। पांच साल में कुरवाई-मंडीबामोरा रोड भी नहीं बन पाया।
– डॉ. अजहर खान प्रायवेट चिकित्सक

क्षेत्र में पिछले 5 साल मेें कई कार्य हुए हैं। किसानों और लोगों को योजनाओं का लाभ मिला है।

– शैलेन्द्र ठाकुर, युवा

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