प्रशासनिक अधिकारियों का खौफ नहीं होने के कारण अवैध उत्खनन का काम खुलेआम चल रहा है। अवैध उत्खनन करने वालों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे निजी और शासकीय भूमि के साथ ही नदियों को भी छलनी करने में लगे हुए हैं। जिनको कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। स्थानीय अधिकारियों को इसकी भनक भी नहीं लगती है। इस कारण शासन को प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। दीपनाखेड़ा और आसपास की नदियों से बड़े पैमाने पर कोपरा और बजरी निकालने का काम किया जा रहा है।
जेसीबी से निकाल रहे कोपरा
अवैध उत्खननकर्ता जेसीबी की सहायता से नदी से कोपरा निकालकर टै्रक्टर-ट्रालियों भरकर धड़ल्ले से ले जा रहे हैं और सड़क निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। इस मामले में जब ग्रामीणों ने ठेकेदार को नदी से कोपरा निकालने से मना किया, तो ठेकेदार ने उन्हें गुमराहे करते हुए कहा कि वह अनुमति लेकर नदी से कोपरा निकाल रहा है। जबकि नदी से कोपरा निकालने की कोई अनुमति नहीं दी गई है। फिर भी इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। जिससे ऐसा लग रहा है अधिकारियों की मिलीभगत से ही इस काम को अंजाम दिया जा रहा है।
खनिज विभाग नहीं देता ध्यान
विकासखंड में लम्बे समय से मुरम कोपरा रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है । जिन पर कार्रवाई करने के लिए खनिज विभाग के अधिकारी कभी पहुंचते ही नहीं हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने अवैध उत्खनन करने वालों को खुली छूट दे रखी हो। इसकी वजह से हर साल करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। छोटीा-बड़ी नदी मिलाकर ब्लॉक की करीब 30 नदियों से बजरी का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
शिकायतों का नहीं असर
ग्रामीणों के मुताबिक वे नदियों से होने वाले अवैध उत्खनन की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। जिसके चलते अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है।
इनका कहना है
नदी में सें उत्खनन करनें की किसी को अनुमति नहीं दी गई है। नायब तहसीलदार को जांच करने के लिए मौके पर भेज रहे हैं। – बृजेश शर्मा, एसडीएम, सिरोंज