आज तक कई जगह निर्माण का ले आउट तक नहीं डल पाया। ऐसे 38 मामले है जिनमें राशि तो निकाल ली गई, लेकिन सरपंचों और सचिवों ने कोई काम नहीं कराया। दस काम तो वर्ष 2010 के हैं। इस दौरान दो बार सरपंच बदल चुके हैं, सचिव भी इधर से उधर हो चुके हैं। लोग खातों में से पूरा पैसा निकालकर डकार चुके हैं।
उनके इस कारनामे से बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढऩा पड़ रहा है। अब इनसे काम करवाने या काम नहीं करने या काम नहीं करने वाले एजेसियों से राशि वसूलने अथवा इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई करने की तैयारी है। इसी मसले को लेकर श्ुाक्रवार को अंंबेडकर मांगलिक भवन में डीपीसी सुरेश खांडेकर ने संबंधित एजेंसियों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में कई सचिव कार्रवाई के डर से शामिल नहीं हुए। डीपीसी खांडेकर ने कहा कि जो काम शुरू हो चुके हैं उन्हें 15 दिन में पूरा करवाकर पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करें।लेकिन जो काम शुरू ही नहीं हुए हैं उन्हें तत्काल शुरू कराकर पूरा कराएं। यदि ऐसा नहीं किया गया तो संबंधितों पर एफआईआर कराकर राशि वसूली की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि निर्माण एजेंसी में सरपंच और सचिव दोनों शामिलऔर जिम्मेदार माने जाते हैं। सचिव ये न सोंचें कि सरपंच से ही वसूली होगी, इसलिए समय रहते इन कार्यों को पूरा करा लें अन्यथा जेल की हवा खाना पड़ेगी। सरकार का पैसा है, कोई खा नहीं सकता। इसके अलावा जिला पंचायत के समन्वयक ने ई कक्ष, अतिरिक्त कक्ष, पंचायत भवन निर्माण की भी समीक्षा की।
समीक्षा में अधिकारी व्यस्त रहे मोबाइल में
समीक्षा बैठक लेने के लिए जिले और विकासखण्ड के अधिकारी आए हुए थेद्व इतनी महत्वपूर्ण बैठक में भी इनमें से कई अधिकारी अपने मोबाइल में व्यस्त रहे और समीक्षा के नाम पर खानापूर्तिकरके चलते बने।