कालादेव का पत्थर युद्ध देखने उमड़ी भीड़
कालादेव का पारंपरिक पत्थर मार दशहरा युद्ध देखने लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। भीड़ इतनी थी कि दूर मैदान से इस युद्ध का नजारा देखने के लिए लोग घरों की छतों और पेड़ों पर भी चढ़ गए। हमेशा की तरह गोफन से पत्थर बरसाए गए और युद्ध का माहौल बना रहा। विजयादशमी पर दशहरा मैदान में एक तरफ राम की सेना तो दूसरी ओर भील बंजारे रावण की सेना में सम्मिलित होने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए। रावण की सेना में शामिल भीलों ने गोफन और गोतिया से राम की सेना पर पत्थरों की बारिश की, लेकिन कोई पत्थर रामादल को छू भी नहीं सका। विजय स्वरूप राम के सैनिक जयश्री राम के नारे लगाते हुए ध्वज की परिक्रमा करने लगे। बाद में राम का तिलक किया गया और आरती उतारी गई।
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हर साल होता है पत्थर युद्ध का आयोजन
परंपरा के मुताबिक हर साल कालादेव में पत्थर युद्ध का आयोजन किया जाता है। इस दौरान रावण की सेना में मौजूद बंजारे और भील गोफन से राम की सेना में शामिल सैनिकों पर पत्थर फेंकते हैं लेकिन आश्चर्य देखिए कि जो बंजारे और भील गोफन से पत्थर फेंकने में माहिर होते हैं और जिनका निशाना भी अचूक होता है वो भी राम की सेना में शामिल सैनिकों पर निशाना साधने में नाकामयाब रहते हैं इस साल भी रावण सेना की ओर से फेंके गए सैकड़ों हजारों पत्थरों में से एक भी राम सेना के सैनिकों को नहीं छू पाया। बता दें कि यहां मंदिर में रावण की विशाल प्रतिमा भी मौजूद है। लोगों का मानना है कि यहां प्राचीन कल्याणराव का प्राचीन मंदिर और पान बरेजों में सोखावीर महाराज सहित स्थानीय देवताओं की कृपा से यहां के युद्ध में शामिल किसी भी राम सैनिक को कभी पत्थर नहीं लगे।