सफल शिक्षा अभियान के संयोजक मनोज कौशल बताते हैं कि मिर्जापुर झुग्गी में जाना हुआ तो पता चला यहां 10-12 बच्चे स्कूल नहीं जाते। इनकी पढ़ाई का क्या इंतजाम हो, इसके बारे में विचार कर रहे थे कि सर्वे के दौरान बस्ती की ही एक बिटिया मिली जो दरअसल उस बस्ती की बहु है। नाम है अंजना नट, आठवीं तक पढ़ी है, लेकिन पढऩा-लिखना अच्छा जानती है। उससे किताब पढ़वाकर और लिखवाकर देखा तो यकीन नहीं हुआ कि वह ऐसा भी कर सकती है। बस, उससे और उसके परिजनों से बात कर उसे बस्ती में ही बच्चों की कक्षाएं लगाने को राजी कर लिया। वह भी खुशी खुशी राजी हो गई और शुरू हो गई उन बच्चों की क्लास जो कभी स्कूल नहीं गए थे। कौशल ने बताया कि हमने उन बच्चों को कुछ प्राथमिक पढ़ाई वाली किताबें, कॉपी, पेन और स्लेट बत्ती भी दी, जिससे वे शिक्षा से जुड़ सकें। कौशल बताते हैं कि अंजना भी आगे और पढऩा चाहती है, लेकिन परिवार के लोग स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं। कौशल ने बताया कि ऐसे में हमने यह तय किया है कि अगले शिक्षण सत्र में हमारी समिति इन सभी बच्चों का स्कूल में प्रवेश कराएगी और अंजना का भी कक्षा नवीं में प्रवेश कराकर उसको आगे पढ़ाने की जिम्मेदारी लेगी। गौरतलब है कि सफल शिक्षा समिति झुग्गी बस्ती और वंचित परिवारों के बच्चों के लिए कई वर्ष से काम कर रही है। ये अपने अभियान के माध्यम से करीब 500 बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ चुके है। कई बच्चों को छात्रावास में भी प्रवेश कराया है।