वर्मा हॉस्पिटल में बुधवार की दोपहर वहां काम करने वाले सुल्तनिया निवासी 23 वर्षीय करतारसिंह दांगी की फांसी लगाकर आत्महत्या करने की जानकारी लगते ही कॉलोनी में सनसनी फैल गई। देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ लग गई और तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं।
पुलिस वहां पहुंची और मामले की छानबीन शुरु की। घटना की जानकारी लगते ही मृतक के पिता हीरेंद्र सिंह और चाचा घनश्याम दांगी सहित अन्य परिजन अस्पताल पहुंचे। सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। घनश्याम दांगी कलेक्टर के चालक हैं। घनश्याम से पत्रिका ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि करतारसिंह की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और न ही उसे कोई परेशानी थी। वह विगत पांच साल से यहां काम कर रहा था। उसने कभी किसी परेशानी के संबंध में भी नहीं बताया था। मंगलवार की रात को एक दूसरे निजी अस्पताल में उनकी भावी भर्ती थीं, जिन्हें देखने रात को करतारसिंह पहुंचा था और वापस आ गया था। इसके बाद वे कलेक्टर के साथ लटेरी आयोजन में गए हुए थे और उन्हें दोपहर करीब एक बजे घटना की जानकारी लगी, तो वे अस्पताल आए। घनश्याम के अनुसार उनके भाई के दो पुत्र हैं। जिनमें करतार बड़ा पुत्र था। जिसकी अभी शादी नहीं हुई थी। अस्पताल स्टॉफ के अनुसार मृतक शराब का आदि था।
मामले की चल रही है जांच कोतवाली टीआई जितेंद्र सिंह ने बताया कि करतारसिंह दांगी हॉस्पिटल में ही रहता था। बुधवार को उसके ही कमरे में उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुबह से दोपहर तक दरवाजा नहीं खुलने पर अस्पताल के कर्मचारी खिड़की तोड़कर भीतर घुसे और सांकल खोलकर घटना की जानकारी पुलिस को दी। मौत कैसे हुई इस मामले की जांच की जा रही है।