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शहर की सूरत संवारने कोई नहीं तैयार, मुख्य सड़कों पर 10 फीट तक अतिक्रमण

locationविदिशाPublished: Feb 26, 2020 07:01:01 pm

Submitted by:

govind saxena

सिर्फ दिखावे की कार्रवाई के बाद फिर पसर जाता है सड़कों पर सामान

शहर की सूरत संवारने कोई नहीं तैयार, मुख्य सड़कों पर 10 फीट तक अतिक्रमण

शहर की सूरत संवारने कोई नहीं तैयार, मुख्य सड़कों पर 10 फीट तक अतिक्रमण

विदिशा. वर्षों से मुख्य बाजार में पसरा अतिक्रमण हटाने और शहर की सूरत संवारने को कोई तैयार नहीं। जब भी प्रयास होता है तो राजनीति आड़ेे आ जाती है। यही कारण है कि जब कभी दबाव पड़ता है तो प्रशासन का दल भी बाजार में हो हल्ला मचाते हुए, डांटते-फटकारते किसी का सामान उठाने, हटाने की नसीहत देकर आगे बढ़ जाता है। लेकिन दल के जाते ही अतिक्रमण करने वाले व्यापारी फिर अपना सामान सड़कों पर 2 फीट से 10 फीट तक फैलाकर व्यापार में जुट जाते हैं। सबको पता है कि अतिक्रमण हटाने की इच्छाशक्ति किसी में नहीं, इसलिए सब बेफिक्र होकर सड़कों और चौराहों को घेरकर बैठे हैं। मैन मार्केट, खरीफाटक, जयप्रकाश मंच, तिलक चौक सबकी हालत एक सी है। इससे सड़क सकरी हो गई है और वाहनों की रेलमपेल में निकलना भी मुश्किल हो रहा है।

प्रशासन ने करीब 6 माफ पहले मुख्य मार्गोँ से अतिक्रमण हटाने की मुहिम शुरू की थी, इस मुहिम से आम जनता खूब खुश थी, लेकिन यह मुहिम भी राजनैतिक कारणों से रोक दी गई और फिर जो अतिक्रमण हटाए गए थे, उससे भी ज्यादा बढ़कर लोग सड़क चौराहों पर आ जमे। हाल ही में सिविल लाइन क्षेत्र में अहमदपुर तिराहे और पीतलमिल चौराहे तक अतिक्रमण हटाने की मुहिम चली थी, जिसमें सिर्फ गुमठी और हाथ ठेले वालों को निशाना बनाकर उनके सामान की भारी तोडफ़ोड़ की गई थी। लेकिन मुख्य बाजार और बड़े व्यापारियों की पक्की दुकानों के बावजूद सड़कों पर उनके 10-10 फीट तक के कब्जे पर हाथ डालने की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पा रहा है। यही कारण है कि त्यौहार, शादी सीजन और आम दिनों में भी मुख्य बाजार में दिन में कई-कई बार जाम की नौबत आ रही है और लोग परेशान हो रहे हैं।

इनका कहना है…
दबाव की राजनीति और अधिकारियों की इच्छाशक्ति के अभाव में शहर का भला नहीं हो सकता। मुख्य बाजार क्या, किसी भी क्षेत्र के बाजार में सड़कों पर फैले अतिक्रमण को काबू में नहीं किया जा सका है। शहर के बुरे हाल हैं।
-प्रमोद व्यास, एडवोकेट

शहर में लम्बे समय से अतिक्रमण फैलाकर व्यापार की परम्परा सी बन गई है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी मुंह दिखाई की होती है। आम जनता रोजाना परेशान होती है, लेकिन इससे किसी को क्या?
-विजय चतुर्वेदी, शिक्षाविद्

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