प्रशासन ने करीब 6 माफ पहले मुख्य मार्गोँ से अतिक्रमण हटाने की मुहिम शुरू की थी, इस मुहिम से आम जनता खूब खुश थी, लेकिन यह मुहिम भी राजनैतिक कारणों से रोक दी गई और फिर जो अतिक्रमण हटाए गए थे, उससे भी ज्यादा बढ़कर लोग सड़क चौराहों पर आ जमे। हाल ही में सिविल लाइन क्षेत्र में अहमदपुर तिराहे और पीतलमिल चौराहे तक अतिक्रमण हटाने की मुहिम चली थी, जिसमें सिर्फ गुमठी और हाथ ठेले वालों को निशाना बनाकर उनके सामान की भारी तोडफ़ोड़ की गई थी। लेकिन मुख्य बाजार और बड़े व्यापारियों की पक्की दुकानों के बावजूद सड़कों पर उनके 10-10 फीट तक के कब्जे पर हाथ डालने की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पा रहा है। यही कारण है कि त्यौहार, शादी सीजन और आम दिनों में भी मुख्य बाजार में दिन में कई-कई बार जाम की नौबत आ रही है और लोग परेशान हो रहे हैं।
इनका कहना है…
दबाव की राजनीति और अधिकारियों की इच्छाशक्ति के अभाव में शहर का भला नहीं हो सकता। मुख्य बाजार क्या, किसी भी क्षेत्र के बाजार में सड़कों पर फैले अतिक्रमण को काबू में नहीं किया जा सका है। शहर के बुरे हाल हैं।
-प्रमोद व्यास, एडवोकेट
शहर में लम्बे समय से अतिक्रमण फैलाकर व्यापार की परम्परा सी बन गई है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी मुंह दिखाई की होती है। आम जनता रोजाना परेशान होती है, लेकिन इससे किसी को क्या?
-विजय चतुर्वेदी, शिक्षाविद्
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