जननी सुरक्षा राशि और संबल योजना का लाभ लेने के लिए कई महिलाएं सरकारी अस्पताल में ही प्रसव कराती हैं। जबकि उन्हें मिलने वाली सहायता राशि महीनों चक्कर काटने के बावजूद नहीं मिल पाती, तो उनकी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। कई महिलाएं तो बार-बार अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के चक्कर लगाने से परेशान होकर राशि लेने की आश ही छोड़ देती हैं। जननी सुरक्षा के तहत सरकारी अस्पताल में प्रसव होने पर शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1 हजार रुपए और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए की राशि दी जाती है।
वहीं संबंल योजना की पात्रताधारी प्रसूति महिलाओं को प्रसव के बाद ग्रामीण या शहरी क्षेत्र की महिलाओं को १६ हजार रुपए की राशि दी जाती है। इसके तहत पहली डिलेवरी होने पर महिला बाल विकास विभाग द्वारा सभी चार जांच हो जाने पर प्रसूताओं को ४ हजार रुपए की राशि दी जाती है, जबकि दूसरी डिलेवरी होने पर यही 4 हजार रुपए की राशि स्वास्थ्य विभाग देता है। इस प्रकार प्रसव होने के बाद तक महिलाओं को १६ हजार रुपए की राशि दी जाती है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
अस्पताल के चक्कर काट-काटकर परेशान
ब्लॉक कॉलोनी निवासी दीपक कुमार ने बताया कि उसकी पत्नी को करीब दो साल पूर्व प्रसव हुआ था। लेकिन जननी सुरक्षा की राशि समस्त दस्तावेज देने के बावजूद उन्हें नहीं मिल सकी। कई बार जिला अस्पताल के चक्कर काटे लेकिन कुछ निराकरण नहीं हुआ, तो उन्होंने अस्पताल जाना ही बंद कर दिया। वहीं राजीवनगर निवासी कीर्ति विले ने बताया कि दो माह पूर्व उन्हें जिला अस्पताल में बेटा हुआ था। लेकिन न तो अब तक उन्हें जननी सुरक्षा की राशि एक हजार रुपए मिली और न ही संबंल योजना के तहत १६ हजार रुपए की राशि मिल सकी। उनके पति कई बार जिला अस्पताल के चक्कर लगा चुके, लेकिन कोई निराकरण नहीं हो सका।
250 से अधिक मामले जिला अस्पताल में पेंडिंग
जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार प्रसूति सहायता राशि के करीब २५० से अधिक मामले पेंडिंग हैं। जबकि जिलेभर के सरकारी अस्पतालों के आंकड़े लिए जाएं, तो इनकी संख्या हजारों में पहुंच जाएगी।
इनका कहना है
जननी सुरक्षा की राशि तो करीब एक पखवाड़े के भीतर प्रसूता के खाते में डाल दी जाती है। वहीं संबंल योजना के तहत मिलने वाली प्रसूति सहायता राशि कई बार दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच में अटक जाती है। किसी भी दस्तावेज में कोई कमी रह जाती है, तो फाइल पेंडिग हो जाती है और भी खाते में राशि पहुंचने में देरी होती है। सभी दस्तावेज पूर्ण होने पर ही खाते में राशि जा पाती है।
– डॉ. केएस अहिरवार, सीएमएचओ, विदिशा