इ स मार्ग पर सीवेज लाइन के लिए करीब 15 फिट तक गहरे गड्डे हो रहे। इनमें सीवेज लाइन डालकर चैंबर बनाए जा रहे। इन गहरे और कुआनुमा गड्ढों से दोपहिया वाहनों को खतरा बन रहा है। वहीं आवक सीजन में इस मार्ग पर टे्रक्टर-ट्रॉलियां निकल पाना मुश्किल होगा। इसी तरह मंडी पहुंचने का दूसरा मार्ग एनएच से होकर है। इस मार्ग पर भी सीवेज लाइन की खुदाई और डिवाइडर का कार्य चलने से पहले से ही वाहन चालकों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है। अगर टे्रक्टर-ट्रालियों को मंडी पहुंचने के लिए यह रास्ता दिया गया तो आवागमन की गंभीर समस्या आ जाएगी।
अनाज व्यापारियों के मुताबिक आवक सीजन में मंडी में हर दिन 25 से 40 हजार क्ंिवटल तक आवक होती है। अधिक आवक एवं शहर में वाहनों के अधिक दवाव के कारण पुरानी मंडी में नीलाम कार्य संभव नहीं होता पाता। इसलिए नई मिर्जापुर मंडी में यह नीलाम कार्य कराया जाता है, लेकिन ऐसे समय में जब आवक सीजन के दौरान मंडी के रास्ते दुरुस्त होना था उल्टा इन रास्तों को आवागमन में और अधिक कठिन कर दिया गया। इससे किसान, व्यापारियों के अलावा शहर के नागरिकों को भी समस्याओं से जूझना पड़ेगा।
व्यापरियों ने बताया कि जिला प्रशासन व मंडी प्रशासन मंडी की व्यवस्थाओं के प्रति गंभीर नहीं है। दो वर्ष पूर्व आश्वस्त किया गया था कि अंडरब्रिज वाले मार्ग पर किसानों की सुविधाओं के लिए बिजली की व्यवस्था की जाएगी जो आज तक नहीं हो सकी। वहीं मिर्जापुर मंडी में नीलाम कार्य के शेड ऊंचे है जबकि ट्रॉलियां नीचे लगती है। ऐसे में व्यापारियों को अनाज नीलाम के दौरान ट्रॉली से अनाज उठाने के लिए झुकना पड़ता है। ट्रॉलियों के खड़े होने के स्थान ऊंचे किए जाने का आश्वासन दो वर्ष पूर्व दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं कराया गया।