जिले को 2017-18 में सूखा ग्रस्त घोषित किया गया था, उस समय सूखा पीडि़त किसानों के लिए जिले को 263 करोड़ 86 लाख रुपए की राशि आबंटित हुई थी। यह राशि पहले सहकारी समितियों के माध्यम से बंटती आई थीं। इस बार भी यही प्रयास था कि सहकारी समितियों के खाते में यह राशि जाए और फिर वहीं से किसानों को यह राशि भेजी जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सूखा राहत राशि बंटने में विलंब हुआ, लेकिन एक-एक किसान का खाता नंबर जिला स्तर पर एकत्रित कर किसानों को उनके खाते में बैंक के माध्यम से यह राशि डाली गई। इस पूरी प्रक्रिया में कई किसान सामने ही नहीं आए और उनके खाते नही मिल पाए जिससे उनको राशि नहीं बांटी गई। उनकी राशि बच गई।
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि जब इस बारे में पता किया गया कि शासन से जब भी ऐसी राशि मिलती हैतो कितनी बंटती है, कितनी बच जाती है, इसका कोई हिसाब नहीं मिला और यह बताया गया कि शेष सारी राशि सहकारी समितियों में ही जमा रह जाती है। अर्थात शासन से मिलने वाली राशि किसानों को पूरी तरह बंटने की बजाय शेष राशि समितियों में रखी रह जाती है, जब यह पता चला तो कलेक्टर ने इस बार मिली ऐसी राशि का मिलान कराया और करीब 11 करोड़ रूपए ऐसे होना पाया गया। यह राशि कलेक्टर सिंह के निर्देश पर शासन को वापस की जा रही है। यह माना जा रहा है कि यदि यह राशि नहीं पकड़ाती तो सहकारी समितियों में यह राशि पड़ी रहती और इसके दुरपयोग की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
सूखा राहत राशि वितरण में गौर किया गया कि बिल फेल होने अथवा किसान के नहीं मिलने पर राशि कहां जाती है। ऐसे में करीब 11 करोड़ बचना मालूम हुआ। जिसे शासन को नहीं बताया गया था। जानकारी में आते ही यह राशि शासन के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।
-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर विदिशा
-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर विदिशा