रामलीला की शुरूआत में राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए महर्षि वशिष्ठ के कहने पर यज्ञ शुरू किया। भट्ट ऋषि(अंकित अग्रवाल) के निर्देशन में राजा दशरथ(एड. मदनकिशोर शर्मा), महारानी कौशल्या(राज तिवारी)और महारानी कैकई(राम शर्मा) ने अग्निकुण्ड में आहुतियां दीं तो प्रसन्न होकर अग्निदेव(कृष्णा पुरोहित)प्रकट हुए। उनके द्वारा दिए खीर को खाने के बाद अयोध्या के महल में राम सहित चारों राजकुमारों का जन्म हुआ। भय प्रकट कृपाला…की स्तुति के साथ माता कौशल्या पालने में चारों शिशु राजकुमारों को दुलारती रहीं। इसके बाद राजा दशरथ और तीनों रानियों ने बाल रूप राजकुमारों को खूब दुलारा, उनकी बाल लीलाएं हुईं, खेल खेले, लकड़ी की गाड़ी चलाई, गेंद से खूब खेले और पूरे परिसर में ठुमक-ठुमक कर सबका मन मोहते रहे। इस दौरान पूरा अयोध्या भवन और रामलीला परिसर आकर्षक रोशनी से जगमगा रहा था।
बालरूप राम बनने हैदराबाद से आए प्रभव
रामलीला से कई परिवारों का पीढिय़ों का रिश्ता है और वे इस रिश्ते को और गाढ़ा बनाने में लगे हैं। लीला से तीन पीढिय़ों से जुड़े कीर्तिप्रकाश शर्मा ने बताया कि इस बार बालरूप राम बनने के लिए हैदराबाद में रह रहे उनके पोते 5 वर्ष के प्रभव शर्मा को विदिशा बुलाया है। वह आज बाल रूप राम बन रहा है। हमारी ये चौथी पीढ़ी है। हमें नहीं मालूम आगे इस बच्चे को मौका मिले न मिले, लेकिन नई पीढ़ी को भी हम रामलीला से जोड़े रखना चाहेंगे, यह हमारी विरासत है। प्रभव केवल एक दिन बालरूप राम बनकर हैदराबाद लौट जाएंगे। वहां प्रभव के पिता वैभव शर्मा सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। यहां बता दें कि कीर्ति प्रकाश शर्मा भी वर्षाे से रामलीला में अलग-अलग किरदार निभाते आ रहे हैं।