विदिशा

सबसे भव्य लेकिन बिना प्रतिमाओं का रह गया गडऱमल मंदिर

बड़ोह स्थित गडऱमल नाम से विख्यात मंदिर और प्रवेश द्वार पर मौजूद शेरों की प्रतिमाएं

विदिशाJun 14, 2021 / 09:58 pm

govind saxena

सबसे भव्य लेकिन बिना प्रतिमाओं का रह गया गडऱमल मंदिर

विदिशा. जिले के पठारी ग्राम से लगा हुआ गांव बड़ोह भी पुरातत्व की दृ़ष्टि से अत्यंत समृद्ध गांव है। यहां प्राचीन शिल्प के नायाब प्रमाण अब भी लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं। इनमें से सबसे प्रमुख और भव्य है गडऱमल मंदिर, जिसका निर्माण 8 वीं से 10 वीं शताब्दी के बीच हुआ। लेकिन दुर्भाग्य है कि इस नायाब मंदिर में अब कोई प्रतिमाएं नहीं हैं, वर्षों पहले यहां की देवी और दिव्य शिशु की प्रतिमाएं ग्वालियर संग्रहालय में ले जाई जा चुकी हैं।

किवदंती है कि क्षेत्र के एक गड़रिए ने इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था, यही कारण है कि इस मंदिर को भी गडऱमल मंंदिर कहा जाने लगा। मंदिर को 1923-24 में ग्वालियर ऑर्कियोलॉजिकी सर्वे ने अपने अधीन किया था, इसके बाद यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आ गया। मंदिर का विशाल आकार और बनावट दूर से आकर्षित करती है। इसके प्रवेश द्वार पर दो विशाल शेर मौजूद हैं। सामने ही खंबों पर टिका एक मंडप है। पिलरों पर कुछ हाथियों और देवी देवताओं की प्रतिमाएं उत्कीर्ण दिखाई देती हैं। अवशेषों से यह साफ समझ आता है कि इस भव्य मंदिर के आसपास सात और मंदिर थे, जो अब पूरी तरह ढह चुके हैं। लेकिन मंदिर का शिखर, बनावट और विशालता अब भी लोगों को आकर्षित करती है।
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