विदिशा

गणेशोत्सव की धूम, दर्शन को उमड़ रही भीड़

सीताराम दरस रस बरसे, श्री रामचंद कृपालु भज मन की शानदार प्रस्तुति दी

विदिशाSep 22, 2018 / 12:21 pm

वीरेंद्र शिल्पी

GANESH MAHOTSAV : तापी को बचाने के लिए भक्त बन गए मूर्तिकार

विदिशा/सिरोंज. चौतरफा भगवान गणेश की उत्सव की धूम है। नगर में चालीस से ज्यादा स्थानों पर गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित कर झांकी सजाई गई हैं। पांडालों में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं। गणेश की अथाई पर उत्सव की धूम ही निराली है। गुरुवार की रात श्री गणेश उत्सव समिति द्वारा फूल बंगला सजाकर अयोध्या के कनक भवन में भगवान श्रीराम दरबार एवं भगवान द्वारकाधीश की मनमोहक झांकी सजाई गई। बाल कलाकारों द्वारा मोहक प्रस्ततियां दी गईं और देर रात तक दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। देर तक राम जी और द्वारकाधीश की जयकारे गूंजते रहे।

क्षेत्र के बाल कलाकारों ने कनक भवन चलों द्वारे पड़े रहो, सीताराम दरस रस बरसे, श्री रामचंद कृपालु भज मन की शानदार प्रस्तुति दी। झांकी देखने आए हजारों दर्शनार्थियों ने समिति और कलाकारों की खूब सराहना की। देर रात भगवान गणेश, रामदरबार, द्वारकाधीश की महाआरती उतारकर प्रसादी वितरण किया गया।

इस मौके पर पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने भी भगवान की पूजा की। इसी तरह नगर के विभिन्न मोहल्लों में विभिन्न संगठनों द्वारा सजाई गई गणेश झांकियों में भी भीड़ लगी हुईहै और यहां के कार्यक्रमों में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। सुबह-शाम माहौल गणेश जी के जयकारों, आरती और भजनों से गूंज रहा है।

शहर में गणेशोत्सव की है धूम
गणेशोत्सव नगर सहित आसपास के क्षेत्र में बड़े ही हर्षोल्लास एवं भक्तिभाव के साथ मनाया जा रहा है। गणेशोत्सव पर श्रद्धालुओं ने अपने घरों में मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं को विराजमान किया। गणेश उत्सव समितियों ने भी नगर के प्रमुख चौक चौराहों और गली-मोहल्लों में झांकी सजाकर गणपति बप्पा की प्रतिमाओं को विधिवत पूजन-अर्चन एवं गाजे-बाजे के साथ विराजमान किया है। इस वर्ष प्रशासन द्वारा पीओपी की प्रतिमाओं के निर्माण एवं विक्रय पर सख्ती से प्रतिबंध न लगाए जाने से पीओपी की बनी प्रतिमाओं की जमकर बिक्री हुई।

गणेशोत्सव का हुआ विसर्जन
विदिशा/बिछिया. गणेशोत्सव के दिनों में गांव में लगी झांकियों के कारण जहां सुबह-शाम भजनों की गूंज रहती थी, वहीं गांव की रौनक भी थी। ग्रामीण देर तक दर्शन करने आते रहते थे। डोलग्यारस को गणेशजी की झांकियों का विसर्जन किया गया। इस अवसर पर हवन पूजा और पूर्णाहुति के साथ विदाई दी गई। प्रतिमाओं को नदी में विसर्जित किया गया।
 

 
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