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गैस सिलेंडर के 835 रुपए नकद देना गरीब उपभोक्ताओं को पड़ रहा भारी

locationविदिशाPublished: Sep 28, 2018 11:27:33 am

सरकार ने धुआं, ईंधन और धुएं से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए उज्जवला योजना शुरू की।

Gas cylinder

Cylinder

विदिशा. सरकार ने धुआं, ईंधन और धुएं से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए उज्जवला योजना शुरू की। इसके लिए गरीब हितग्राहियों को गैस सिलेंडर चूल्हे वितरित किए, लेकिन हाल यह कि इस योजना के 60 प्रतिशत रसोई गैस सिलेंडरों की रिफलिंग नहीं हो रही। गैस एजेंसियां इसके लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रही, लेकिन हितग्राही एक बार सिलेंडर लेने के बाद दोबारा सिलेंडर लेने की हिम्मत नहीं कर रहे। इससे योजना फ्लाप होती दिखाई दे रही है।

शहर की स्थानीय एजेंसियों से जानकारी लेने पर योजना के यह बुरे हाल सामने आए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक शहर की पांच एजेंसियों से उज्ज्वला योजना में शहर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 26 हजार 200 सिलेंडर वितरित हुए हैं। योजना के शुभारंभ के दौरान हितग्राहियों में काफी उत्साह रहा।

एजेंसियों में दिनदिन भर हितग्राहियों की भीड़ लगी रही, लेकिन अब रीफिलिंग के नाम पर ऐसा उत्साह नहीं दिख रहा और गरीबों का भोजन पहले की तरह ही कंडे और लकडिय़ों पर ही बन रहा है।

महंगा सिलेंडर कारण
इस हालत के लिए सिलेंडरों का महंगे दामों पर मिलना बड़ा कारण माना जा रहा। रसोई गैस सिलेंडर में अन्य ईंधन से कम खर्च है, लेकिन आज की स्थिति में सिलेंडर के लिए एकमुश्त 835 रुपए देना गरीब हितग्राहियों के लिए संभव नहीं हो पा रहा और जो गैस सिलेंडर ले भी रहे तो वे सिलेंडर का उपयोग सिर्फ चाय और सब्जी में उपयोग कर रहे, जबकि उनका भोजन लकड़ी और कंडों पर ही तैयार हो रहा।

 

पंद्रह हजार गैस सिलेंडरों की रिफलिंग नहीं
एजेंसी संचालकों की माने तो करीब 15 हजार हितग्राही ऐसे हैं, इनमें अधिकांश हितग्राहियों ने दोबारा सिलेंडर नहीं लिया। ग्राम परासी की प्रवेश बाई ने नवंबर 2017 से अब तक गैस सिलेंडर की रीफिलिंग नहीं कराई। इसी तरह आदमपुर की श्यामाबाई अगस्त 2017 से रीफिलिंग नहीं कराई। परसपर सौरा की गौराबाई ने 2016 में सिलेंंडर लिया और 15 सितंबर 2017 में एक बार ही रीफिलिंग कराई। ऐसे कई हितग्राही हैं, जो वर्ष में एक या दो सिलेंडर ही लेने की स्थिति में हैं।

एंजेसी संचालकों के मुताबिक रीफिलिंग के लिए गांव-गांव में शिविर लगाए। महिलाओं को रसोई गैस पर खाना बनाने के फायदे बताए। स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संंबंधी जानकारी दी व सिलेंडर रीफिलिंग के लिए प्रे्ररित किया, लेकिन इन शिविरों का अपेक्षित लाभ नहीं मिला।

सब्सिडी में भी परेशानी
हितग्राहियों को सब्सिडी में भी परेशानी हो रही। हितग्राहियों आधार बाद में जिस बैंक में लगा वहां सब्सिडी जाती है, जबकि सिलेंडर लेते समय हितग्राही अन्य बैंक का खाता लगा देते है। उस खाते में राशि नहीं पहुंचने पर वे परेशान होते हैं। वहीं खाते में मिनिमम बैलेंस में पैसे कटते हैं। इससे उनकी सब्सिडी का बैलेंस में समायोजन हो जाता और उन्हें सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पा रहा। समूह की महिलाओं के खातों में भी कई तरह की परेशानी हो रही।

 

योजन पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी अच्छी है, लेकिन गरीबों के लिए सिलेंडर के दाम भारी पड़ रहे हैं। बैंक खाते में मिनीमम बैलेंंस पर सब्सिडी की राशि कटने से भी हितग्राही हतोत्साहित हैं। इसका असर रीफिलिंग में पड़ रहा।

-अतुल शाह, संचालक, गैस एजेंसी

रीफिलिंग में कमी का एक कारण महंगा सिलेंडर होना भी है। रीफिलिंग के लिए छोटे सिलेंडरों की व्यवस्था की जा रही। गांव में ही सिलेंडर पहुंचाने का प्रयास किया जा रह। राशन दुकानों पर भी सिलेंडर रखवा रहे। इससे रीफिलिंग में प्रगति आएगी।
-नुजहत बानो, जिला खाद्य अधिकारी
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