वापस स्कूल भेजा जाए
डाइट परिसर में हुई बैठक में सभी ने अपने-अपने विचार रखे और चरणवद्ध आंदोलन की रणनीति बनाई गई। वक्ताओं का कहना था कि सरकारी स्कूल के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने से स्कूल के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। अभी करीब 100 से अधिक शिक्षकों को बीएलओ कार्य में लगा रखा है। जिन्हें वापस स्कूल भेजा जाए।
बंद होने की कगार पर
संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सौदानसिंह ने कहा कि सरकारी स्कूल में बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश पांच साल की आयु में दिया जाता है, जबकि निजी स्कूल में तीन साल की आयु से नर्सरी में प्रवेश दिया जाता है। इससे पांच साल की आयु होने तक अधिकांश बच्चे निजी स्कूल में प्रवेश ले लेते हैं। जिसके चलते सरकारी स्कूल में बच्चों के प्रवेश कम हो रहे हैं। वर्ष 2016-17 में बच्चों की कम उपस्थिति के कारण जिले की 54 प्राथमिक शालाओं को बंद करना पड़ा। वहीं 200 स्कूल में सिर्फ 10 से 15 बच्चे पढ़ रहे हैं, जो बंद होने की कगार पर हैं।
पुरानी पेंशन बहाली की मांग
बैठक के दौरान जिलेभर से अध्यापकों के साथ कुछ अन्य विभागों के कर्मचारी भी मौजूद रहे। सभी ने एक सुर में कहा कि सरकार पुरानी पेंशन की बहाली करे और नई पेंशन एनपीएस छोडऩे की बात कही। इसके लिए संकुल स्तर पर मुहिम चलाए जाने के सुझाव आए। बीआरसी अनिल शर्मा, वरिष्ठ अध्यापक नवलसिहं रघुवंशी, सौदानसिंह सूर्यवंशी, हुकमसिंह सूर्यवंशी, केशव रघुवंशी, अर्चना त्रिपाठी आदि ने अपने विचार रखे। बैठक के बाद सभी रैली के रूप में पुरानी कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां ग्रामीण तहसीलदार सरोज अग्निवंशी को ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान चंद्रभूषण किरार, भूपेंद्रसिंह किरार, रामकृष्ण रघुवंशी, कैलाश जाटव, मनोज श्रीवास्तव, संतोष जैन आदि मौजूद रहे।