मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 110 किलोमीटर दूर है यह अनोखी प्रतिमा। गंजबासौदा से 19 किमी दूर उदयपुर के पास हनुमान जी की यह अनोखी प्रतिमा प्राचीन मंदिर में स्थापित है। खासियत यह है कि प्रतिमा आधी लेटी हुई मुद्रा में है, ठीक उसी तरह जैसे विश्राम करने के लिए हम अपने सिर के नीचे हाथ लगाकर लेट जाते हैं और इस मुद्रा में हमारा सिर ऊपर उठा हुआ रहता है। यह भी खासियत है कि प्रतिमा के एक पैर का छोर कहां है, यह आज तक पता नहीं चल सका।
खुदाई की तो तालाब बन गया
हनुमान प्रतिमा के एक पैर का पता लगाने मंदिर के सामने इतनी खुदाई की गई कि वहां तालाब बन गया, लेकिन हनुमान जी के पैर का अंतिम छोर नहीं मिल सका। हर मंगलवार और खासकर हनुमान जयंती पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते है। जबकि रामनवमी और हनुमान जयंती पर यहां मेला लगता है। इसी मंदिर में भगवान विष्णु के वराह अवतार की खूबसूरत प्रतिमा मौजूद है। इस प्रतिमा के नीचे से निकलकर श्रद्धालु अपने को धन्य मानते हैं। शिल्प की दृष्टि से यह वराह प्रतिमा अद्वितीय है।
मंदिर में राम नहीं, माता जानकी के साथ हैं हनुमान
नूरपुर गांव के वीरान क्षेत्र में मौजूद बजरंगबली का मंदिर विख्यात होने के साथ ही दुर्लभ प्रतिमा वाला है। यहां हमेशा भगवान राम के चरणों में बैठे रहने वाले हनुमान राम जी के नहीं, बल्कि माता जानकी के चरणों में बैठे हैं।
यहां बैठे हैं 65 ऊंचे हनुमानजी
कनक भूदराकार शरीरा, समर भयंकर अति बलवीरा…। कुछ ऐसी ही विशाल प्रतिमा है सिरनोटा के हनुमान जी की। पद्मासन मुद्रा में बैठी यह 65 फीट ऊंची प्रतिमा दूर से ही लोगों को दर्शन देने लगती है। गंजबासौदा के पास सिरनोटा गांव में 2006 में स्थापित इस विशाल प्रतिमा पर सिन्दूरी रंग सजा है। हनुमान जयंती पर यहां विशाल भंडारा होता है। जिसमें प्रसादी ग्रहण करने और हनुमान जी के दर्शन करने हजारों की संख्या में श्रद्धा पहुंचते हैं। यह मंदिर अपने निर्माण काल से ही अत्यंत विशाल प्रतिमा के कारण विख्यात है। मंदिर स्थल पर राम-जानकी और राधा-कृष्ण का प्राचीन मंदिर और महंत गादी मौजूद है।