धर्म कर्म से अशुभ कर्म टलते और पुण्य बढ़ते हैं-समतासागर
शीतलधाम में भगवान का अभिषेक

विदिशा. धर्म के क्षेत्र में यदि कोई अवसर पुण्य कमाने का मिलता है तो उसको अवश्य ले लेना चाहिये इससे अशुभ कर्म तो टलते ही हैं साथ ही आपका पुण्य भी बढ़ता है। यह बात मुनिश्री समतासागर ने दीपावली के बाद चातुर्मास के उपसंहार में कही।
उन्होंने कहा कि देव शास्त्र और गुरू की पूजन से बड़ी कोई पूजन नहीं। यह आपके अशुभ कर्म घटाने और पुण्य बढाने के उचित माध्यम है। भगवान महावीर तो निर्वाण के पश्चात इन कर्म बंधनों से स्वतंत्र हो गए और पास होकर इस संसार से निकल गए। उनके साथ साथ उनके प्रमुख शिष्य इन्द्रभूती गौतम भी पास हो गए। ठीक है, पास होंने वालों की खुशियाँ मनाओ लेकिन इस बात का भी ध्यान रखो कि हमको भी इस संसार के बंधन से मुक्त होना है।
आप सभी ने खूब उत्साह से यहां पर निर्वाण लाडू चढाए। बहुत अच्छी संरचना यहां पर लगातार पांच माह तक चली, अभिषेक और शांतिधारा पूजन विधान नियमित रूप से चला। स्टेशन मंदिर से जैन तत्वबोध की कक्षा से शुरुआत हुई उसके बाद 16 दिवसीय भक्तामर शिविर, 48 दिवसीय भक्तामरपाठ, दोपहर में ब्रहम्चारियों और स्वाध्यायीओं के साथ स्वाध्याय पंचधाम शिविर के कार्यक्रम संपन्न हुए। हालांकि इस वर्ष कोरोना काल के कारण सभी का आने जाने का संतुलन बिगड़ गया था लेकिन दीपावली पश्चात बाहर से सभी के आने का क्रम शुरू हो गया है।
मुनिश्री ने कहा कि भले ही गृहस्थ जीवन के नाम से परिवारी जनों का नाम जुड़ता है, लेकिन त्यागी वृतिओं का तो परिवार उनके गुरू और गुरूकुल होता है। गृहस्थी और गृहस्थ का जीवन पापार्जन का ही होता है, इसलिये त्यागी वृति कोई भी हो, उनके जब भी परिवारी जन आते है, तो मैं उनको एक ही प्रेरणा देता हूं कि आप भी अपने जीवन का उपकार करो एक गृहस्थ के जो कर्तव्य हैं, दान और पूजा उसे अवश्य करो।
अब पाइए अपने शहर ( Vidisha News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज