विदिशा

निजी अस्पताल में मासूम की मौत, परिजनों ने ओवरडोज का लगाया आरोप

बीती रात की घटना, परिजनों ने की अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग

विदिशाApr 29, 2019 / 11:30 pm

Krishna singh

Innocent death in private hospital

विदिशा. शहर के आकाश-ज्योति हॉस्पिटल में बीती रात ढाई वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर बच्चे को ओवर डोज देने और ठीक से उपचार नहीं करने के साथ ही लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। वहीं बच्चे की मौत की जानकारी भी काफी देर बाद दिए जाने की बात कही। साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की।
 

बच्चे की मौत के बाद सोमवार की सुबह बच्चे को पीएम के लिए परिजन जिला अस्पताल लाए, जहां देखते ही देखते मृत बच्चे के परिजन और रिश्तेदारों की अस्पताल में भीड़ लग गई। लेकिन यहां भी करीब साढ़े ग्यारह बजे तक बच्चे का पीएम नहीं होने से परिजन परेशान होते रहे। घटना की जानकारी लगते ही सिविल लाइंस पुलिस ने मर्ग की कायमी कर मामला जांच में लिया। वहीं बच्चे की मौत से गमगीन और नाराज परिजन आकाश-ज्योति अस्पताल के सामने चक्काजाम कर प्रदर्शन का मन बना रहे थे, लेकिन कुछ लोगों की समझाईश पर वे मान गए और प्रदर्शन नहीं किया।
 

एक साथ लगा दिए थे छह इंजेक्शन
ग्राम सौंठिया निवासी संतोष विश्वकर्मा ने बताया कि उनके ढाई वर्षीय पुत्र पियूष को बुखार आने पर परिजन रविवार की रात करीब साढ़े नौ बजे आकाश-ज्योति अस्पताल ले गए थे। जहां डॉक्टर ने देखा और फेफड़ों में पानी भरा जाने की बात कही तथा सोमवार की सुबह पानी निकालने की बात कही। वहीं 3 हजार रुपए जमा करवा लिए। इसके बाद डॉक्टर तो चले गए और वहां मौजूद स्टॉफ नर्स ने बच्चे के हाथ में एक के बाद एक करीब छह से सात इंजेक्शन एक ही जगह पर लगा दिए। वहीं तीन बार मुंह में भाप दी। इसके बाद उनका बेटा पीयूष सुन्न जैसा हो गया था।
 

मृत होने के बाद रुपए लेने का आरोप
संतोष ने बताया कि रात करीब 12 बजे के करीब अस्पताल प्रबंधन ने उनसे 2 हजार रुपए और फीस के जमा करवाए और कुछ दस्तावेजों पर दस्तखत कराए। इसी दौरान बच्चे को देखा तो वह कुछ एक्टिविटी नहीं कर रहा था। फिर उन्हें बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है। परिजनों का कहना है कि बच्चे की मौत हो जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उनसे झूठ बोलकर 2 हजार रूपए लिए।
 

यह हैं आरोप
परिजनों का कहना है कि यदि उनके बच्चे को हैवी डोज नहीं दिया जाता, तो शायद बच्चे की मौत नहीं होती। वहीं बच्चे की मौत के बावजूद उनसे झूठ बोलकर 2 हजार रुपए और लिए गए। अस्पताल में डॉक्टर ने बच्चे को बराबर नहीं देखा और एक बार देखने के बाद दोबारा डेढ़ से दो घंटे बाद आए। बच्चा सीरियस था, इसके बावजूद भोपाल नहीं ले जाने दिया। अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे के उपचार में पूरी तरह लापरवाही बरती।
 

… जिससे किसी ओर के साथ नहीं हो ऐसी घटना
मृतक के पिता ने कहा कि उनके बच्चे की मौत में पूरी तरह अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही है। इस कारण उनके बच्चे की मौत हो गई। इसलिए अब इस तरह कि घटना किसी के साथ नहीं हो इसलिए वे अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे एसपी, कलेक्टर से भी शिकायत करेंगे।
 

क्या कहता है प्रबंधन
आकाश-ज्योति हॉस्पिटल विदिशा के डॉ. आकाश जैन ने बताया कि बच्चे को परिजन जब रविवार की रात करीब साढ़े नौ बजे लेकर आए, तो बच्चे की हालत काफी नाजुक थी। उसकी श्वसन क्रिया मुश्किल से हो रही थी। उसके फेफड़ों में पानी और मवाद था। बच्चे के बचने की संभावना नहीं थी, इसलिए परिजनों को उसे भोपाल ले जाने के लिए कहा था, लेकिन परिजन नहीं माने और यहीं उपचार करने के लिए कहा। जिसके चलते परिजनों से लिखित लेने के बाद बच्चे का उपचार प्रारंभ किया गया। बच्चे को जो इंजेक्शन दिए थे, वे फैफड़े फैलाने और श्वसन क्रिया से संबंधित थे। मैंने स्वयं बच्चे को साढ़े नौ बजे, फिर एक घंटे बाद और फिर इसके बाद भी देखा था। करीब 12 बजे बच्चे की मौत हो गई थी, तो परिजनों को सूचित कर उनके द्वारा जमा किए गए 3 हजार रूपए भी वापस कर दिए थे। अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं।
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