सबसे पहले अभिषेक, शांतिधारा, लाडू प्रवचन विधान आदि का आयोजन किया गया। आदिनाथ भगवान के महामस्तकाभिषेक के कार्यक्रम में सौधर्म इंद्र राकेश सिंघई, मनोज सिंघई, ईशान इंद्र और प्रथम शांति धारा ताराचंद कठरया, सनत इंद्र प्रकाश चंद, आशीष सहेले, महेंद्र इंद्र एवं तृतीय शांति धारा अजय कुमार अतुल कुमार कठरया, द्वितीय शांति धारा राजेंद्र कुमार शैलेंद्र कुमार चौधरी, चौथी शांति धारा विजय कुमार विकास कुमार जैन, लाडू चढ़ाने का सौभाग्य राकेश कुमार, राजेंद्र कुमार, राहुल सिंघई, शारदा जैन राहतगढ़ को प्राप्त हुआ। आरती करने का सौभाग्य अनुज सिंघई, छत्र विजय बरोदिया, चंबर सरोज सिंघई, शशि सिंघई, ध्वजारोहण गुलाब चंद मसूरयाई, रमेश कठरया, रतन भाटिया, अशोक जैन, राजकुमार जैन, मसूरयाई एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य राकेश सिंघई, जिनेश कुमार, रमेश कुमार कठरया को प्राप्त हुआ ।
शांति धारा पूजन अभिषेक के बाद विधान का आयोजन हुआ । इस अवसर पर तीनों मुनि श्री ने प्रवचन दिए । मुनि श्री निरीह सागर ने कहा कि जैन मंदिर में प्रतिदिन पूजा करने से छह प्रकार के आवश्यक कार्य हो जाते हैं। जिसमें पूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप और दान शामिल हैं । मुनिश्री प्रभात सागर ने कहा कि मोक्ष जाना प्रत्येक सांसारिक प्राणी चाहता है। जन्मदिवस तो सभी मनाते हैं परंतु जैन धर्म में मोक्ष कल्याणक दिवस भी मनाया जाता है जिससे सभी लोगों में मोक्ष जाने की भावना जागृत हो । मोक्ष जाने के लिए मुनि बनकर ध्यान लगाना पड़ता है। भगवान की पूजन अभिषेक करने से मोक्ष मार्ग पर चलने का कार्य होता है । मुनि श्री अभय सागर ने कहा कि हम शरीर को आत्मा समझ बैठे हैं और इस शरीर की सेवा में लगे हुए हैं । हम राग द्वेष में लगे रहेंगे तब तक आत्मा का उद्धार नहीं होने वाला है । अवसर का समय पर उपयोग नहीं किया गया तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
लटेरी में भी हुए आयोजन
लटेरी। दिगंबर जैन मंदिर में प्रथम तीर्थंकर ऋषवदेव जी का निर्वाण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जैन श्रावकों ने मंदिर में भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न कराई। इसके बाद नगर में विराजित आचार्य आर्जवसागर महाराज ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए भगवान के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे ऋषवदेव ने इस संसार को व्यवहारिक ज्ञान दिया और अंकगणित का प्रादुर्भाव किया। दिगंबर जैन समाज लटेरी की कमेटी ने और सभी उपस्थित समाजजनो ने आचार्यसंघ के चरणों में जिनेन्द्र देव के विमानोत्सव हेतु श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
लटेरी। दिगंबर जैन मंदिर में प्रथम तीर्थंकर ऋषवदेव जी का निर्वाण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जैन श्रावकों ने मंदिर में भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न कराई। इसके बाद नगर में विराजित आचार्य आर्जवसागर महाराज ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए भगवान के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे ऋषवदेव ने इस संसार को व्यवहारिक ज्ञान दिया और अंकगणित का प्रादुर्भाव किया। दिगंबर जैन समाज लटेरी की कमेटी ने और सभी उपस्थित समाजजनो ने आचार्यसंघ के चरणों में जिनेन्द्र देव के विमानोत्सव हेतु श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।