ग्रामीणों का आरोप है कि भील जंगल काटकर खेत बनाना चाहते हैं, जबकि ग्रामीण उन्हें यह कहकर रोकते हैं कि यह वनभूमि है और हमारे मवेशी यहां चरने आते हैं और आज जब ये बातचीत हो रही थी तभी भीलों ने गोफन से पत्थर बरसा दिए जैसे तैसे ग्रामीणों ने पहले तो अपनी जान बचाई और बाद में ग्रामीण भी हाथों में पत्थर और लाठी लेकर जमा होने लगे। इसी बीच पुलिस और वन अमले को जंगल में जंग की तैयारी की खबर लग गई और बिना वक्त गंवाए पर्याप्त पुलिस बल और वन विभाग का अमला अधिकारियों के नेतृत्व में मौके पर पहुंचा तो देखा कि घाटियों पर करीब 200-250 लोगों का जमावड़ा था। भीलों की ओर से महिलाएं भी समूह में शामिल थीं। ग्रामीणों का कहना था कि यहां हमारे मवेशी चरने आते हैं, लकड़ी चोर जबरिया चार-पांच दिन से सौ-डेढ़ सौ पेड़ काटकर खेत बना रहे हैं। इसकी सूचना वन विभाग को देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है इससे लकड़ी चोरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। वहीं भीलों का कहना था कि कई दशक से हम लोग जंगल में ही रह रहे हैं, वन भूमि पर हमारा अधिकार है।
पत्रिका ने छापी भी जंगल कटाई की खबर
बता दें कि बीते दिनों ग्रामीणों ने जंगल कटाई करने वाले भीलों का वीडियो बनाकर वायरल भी किया था जिसके आधार पर पत्रिका ने भी सात अगस्त को इसक घटना की खबर कुल्हाड़ी लेकर जंगल साफ करने के लिए घूमता है सौ लोगों का झुंड…शीर्षक से प्रकाशित की थी। इसके बाद शनिवार की सुबह करीब 8 बजे सेना के ग्रामीणों और भीलों के समूह आमने-सामने आ गए। मौके पर पहुंचे रेंजर बीएल समर और थाना प्रभारी नितिन पटेल ने दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मंडल को बुलाकर समझाइश दी और उन्हें बताया कि यह जमीन सरकारी है। आप लिखित में ज्ञापन दे दें, हम कलेक्टर तक आपकी बात पहुंचा देंगे, जो निर्देश होंगे उससे आपको अवगत करा दिया जाएगा। लेकिन तब तक यहां किसी भी तरह से कटाई नहीं की जाएगी। अधिकारियों की समझाइश के बाद दोनों पक्ष वापस हो गए।