मालूम हो कि विदिशा-सागर बायपास के निर्माण के दौरान किसानों की जमीनों का अधिग्रहण हुआ था। बायपास के बाद फोर लेन भी बनना है। इसके लिए काफी जगह एनएच की छूटी हुई है। एनएच ने अपनी खाली जगह की पहचान के लिए सड़क किनारे करीब 60 फीट और इससे अधिक दूरी तक खाली जगह के बाद पौधरोपण कर ट्री-गार्ड लगवाए गए पर अब एनएच अपनी जगह की देखरेख नहीं कर पा रहा। इससे जगह पर अब किसान खेती की तैयारी करने लगे हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब किसानों ने एनएच की जमीन पर कब्जा कर फसल उगाने का काम शुरू किया हो। पहले भी यहां प्रशासन की नाक के नीचे एनएच की खाली जमीन पर खेत बनाकर उनमें गेंहू की फसल बड़ी मात्रा में उगाई थी। पत्रिका ने उस बार भी यह मुद्दा उठाया था, लेकिन प्रशासन की नींद नहीं टूटी थी। अब फिर सीजन शुरू होने के पहले ही यह गोरखधंधा शुरू हो गया है। यदि अभी भी प्रशासन नहीं चेता तो उसे एनएच की फोर लेन बनाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
बन रहे धान के गढ़े
बायपास की जमीन पर सुआखेड़ी, रंगई जोड़ एवं अन्य स्थानों पर कई दिनों से खेती की तैयारी होती रही और एनएच के अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं गया। इससे मार्ग में दूर तक धान के गढ़े तैयार हो चुके और कुछ स्थानों पर अन्य फसल के लिए खेत की हकाई हो रही है। एक स्थान पर धान की रौपणी भी लग गई वहीं इसके कुछ आगे एनएच की जमीन पर सब्जी की खेती हो रही है। इस एनएच की जमीन पर पूर्व मेंं भी फसल ली जा चुकी। एक स्थान पर गेहूं की कटाई के बाद फसल के अवशेष पहले से ही इस जमीन में खेती किए जाने का अहसास करा रहे।
पौधरोपण की भी अनदेखी
बायपॉस बनने के बाद से अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। यहां हुए पौधरोपण भी इसकी गवाही दे रहे हैं। मार्ग के दोनों ओर हजारों संख्या में पौधरोपण किया गया था। पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड भी लगाए गए थे, लेकिन 20 प्रतिशत पौधे भी जिंदा दिखाईनहीं दे रहे। यहां तक कि पौधों की सुरक्षा के लिए लगाए गए ट्री-गार्ड भी कईस्थानों से गायब है। कुछ स्थानों से ट्री-गार्ड तोड़ दिए गए और जहां लगे भी है तो वहां पौधे नदारद है।
बायपॉस का निरीक्षण किया जाएगा। एनएच की खाली जगह पर सड़क बनना है। इस जगह पर जो भी खेती कर रहा उन सभी को नोटिस जारी किए जाएंगे।
-बीएल अहिरवार, एसडीओ, एनएच