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सीएम के हाथों लेपटॉप लेने जा रहे बच्चों की तबियत बिगड़ी

locationविदिशाPublished: Jun 11, 2018 11:19:41 am

Submitted by:

govind saxena

सीएम के हाथों लेपटॉप लेने जा रहे बच्चों की तबियत बिगड़ी

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सीएम के हाथों लेपटॉप लेने जा रहे बच्चों की तबियत बिगड़ी

विदिशा। मुख्यमंत्री के हाथों लेपटॉप लेने भोपाल जा रहे मुरैना, ग्वालियर और अशोकनगर के करीब 870 से ज्यादा बच्चे और सौ से ज्यादा स्टॉफ के लोग रविवार की शाम से सोमवार की सुबह तक विदिशा रुके। रास्ते में कुछ छात्राओं की तबियत बिगड़ गई। लेकिन अशोनगर का स्टॉफ एक रूपए की दवा भी अपने साथ लेकर नहीं आया। उन्हें विदिशा जिला चिकित्सालय से दवाएं दिलाकर रवाना किया गया। जैन कॉलेज परिसर से सभी बसें भोपाल के लिए रवाना हुईं।

तीनों जिलों के ८७२ विद्यार्थियों की बसें रविवार की शाम ही विदिशा आ गईं थीं, उन्हें जैन हायरसेकंडरी स्कूल, न्यू शांति निकेतन, सनराईजर्स स्कूल, इंद्रा काम्पलेक्स के कन्या छात्रावास में रुकवाया गया था। शाम का भोजन और सुबह का नाश्ता हुआ और लंच के पैकेट देकर उन्हें रवाना किया गया। सोमवार की सुबह कुछ विद्यार्थियों की तबियत बिगड़ गई, मुरैना के स्टॉफ के पास पर्याप्त दवाएं थीं, लेकिन ग्वालियर के स्टॉफ की दवाएं खत्म हो गईं थीं। उनसे जब दवाएं लेने को कहा तो उन्होंने विदिशा शिक्षा विभाग से दवाएं दिलाने को कहा। इस पर डीईओ एचएन नेमा ने जिला चिकित्सालय से दवाओं का इंतजाम कराया।

इसी तरह अशोकनगर जिले से करीब 231 विद्यार्थी और करीब 25 लोगों का स्टॉफ आया था, लेकिन उनके पास एक रूपए की दवाएं नहीं थीं। रास्ते में बच्चों की तबियत बिगड़ गई, इस पर उन्हें भी जिला अस्पताल से दवाएं दिलाई गईं। जिला अस्पताल का अमला भी जैन स्कूल दवाएं वितरित करने पहुंचा। मुरेैना जिले के डीईओ आरजे सत्यार्थी ने बताया कि उनके जिले से १६६ विद्यार्थी आए हैं।

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बच्चे स्कूल में रुके और अधिकारी होटलों में
तीन जिलों के बच्चे तीन स्कूलों और एक हॉस्टल में ठहराए गए। डीईओ और शिक्षकों के रूकने के इंतजाम भी यहीं कराए गए थे, लेकिन विभिन्न जिलों के डीईओ और अधिकांश स्टॉफ बच्चों के साथ नहीं रुका और शहर की होटलों को तलाश कर उसमें ठिकाना बनाया।

विदिशा के 546 बच्चे भोपाल गए
डीईओ एचएन नेमा ने बताया कि जिले के 546 बच्चे भी सीएम के हाथों लेपटॉप लेने भोपाल रवाना हुए। इनमें से 371 विद्यार्थी बसों से और बाकी बच्चे अपने निजी अथवा प्रायवेट स्कूल प्रबंधन के साधनों से भोपाल पहुंचे।

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