जिपं अध्यक्ष तोरणसिंह दांगी ने भी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए इसका लाभ लेने व मुख्यमंत्री को अपना आशीर्वाद देने की बात कही। इस दौरान कलेक्टर ने जनकल्याणकारी योजना को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना में 4 लाख 20 हजार लोगों का सत्यापन हुआ है। जो छूटे हैं वे भी पंजीयन करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं ऐसी योजना नहीं बनी जो मप्र शासन ने बनाई है। कार्यक्रम में ग्रामीणों को लाने के लिए करीब 20 बसों की व्यवस्था की गई थी।
आयोजन स्थल पर बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। इसमें मुख्यमंत्री के भाषण का सीधा प्रसारण होना था, लेकिन तकनीकी खराबी से प्रसारण प्रभावित रहा। इस दौरान अतिथि आवास योजना, उज्ज्वला योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, प्रसूति योजना आदि के हितग्राहियों को लाभान्वित करते रहे। 12.30 बजे के स्थान पर 12-55 पर मुख्यमंत्री के भाषण का प्रसारण स्क्रीन पर आना शुरू हुआ। इसके बाद भी रुक-रुक कर स्क्रीन चालू व बंद होती रही।
आयोजन में एसडीएम रविशंकर राय, जनपद सीईओ वंदना शर्मा, जिला पंचायत उपाध्यक्ष गुड्डीबाई अहिरवार, जनपद अध्यक्ष रामदेवी ठाकुर, लालाराम अहिरवार, विवेक ठाकुर आदि मौजूद रहे।
दस्तक के जरिए तलाशेंगे कुपोषित व अन्य बीमार बच्चे, आज से शुरू होगा दस्तक अभियान
जिले में 14 जून से दस्तक अभियान शुरू होगा जो 31 जुलाई तक चलेगा। इस अभियान के जरिए जिले में गंभीर कुपोषित एवं अन्य बीमारियों के बच्चे तलाशे जाएंगे एवं इनके उपचार की व्यवस्था की जाएगी।
मिली जानकारी के अनुसार इस अभियान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई। इस संबंध में स्वास्थ्य एवं संबंधित विभागों की बैठक हो चुकी और आवश्यक निर्देश दिए जा चुके हैं। इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एमपीडब्ल्यू, एएनएम आदि कर्मचारी घर-घर दस्तक देंगे और 6 वर्ष तक के बच्चों के संबंध में उनकी बीमारी का पता करेंगे। इस दौरान गंभीर कुपोषित, बच्चों को विटामिन ए, जन्मजात विकृतियों की पहचान, बच्चों में हीमोग्लोबिन की जांच, एनीमिया से पीडि़त बच्चों का उपचार आदि कार्य इस अभियान के तहत होंगे।
1 लाख 10 हजार बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य
मीडिया प्रभारी देवेंद्रसिंह बघेल के अनुसार इस अभियान के जरिए कर्मचारी 1 लाख 10 हजार बच्चों तक पहुंचेंगे। इस कार्य में 1400 आशा कार्यकर्ता, 1800 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, 170 एएनएम, 76 एमपीडब्ल्यू, ३5 एमपीएस एवं 28 एएचबी बच्चों तक पहुंचेंगे और बीमार बच्चों को दर्ज कर उनका उपचार कराया जाएगा।