scriptजिला ओडीएफ घो षित उसके बाद भी खुले में शौच जाते हैं लोग | latest hindi news from vidisha | Patrika News

जिला ओडीएफ घो षित उसके बाद भी खुले में शौच जाते हैं लोग

locationविदिशाPublished: Jul 14, 2018 11:42:04 am

Submitted by:

govind saxena

बनवाना हितग्राही को थे, सरपंचपति ने खानापूर्ति कर आदिवासियों से वसूल ली रकम

vidisha, vidisha news, vidisha patrika, patrika news, patrika bhopal, bhopal mp, swachh bharat, clean india, toilet, odf toilet, sarpanch,

जिला ओडीएफ घो​षित उसके बाद भी ​खुले में शौच जाते हैं लोग

विदिशा. जिला मुख्यालय से मात्र 10 किमी दूर बागरी ग्राम पंचायत की आजादनगर बस्ती ठेठ आदिवासियों की है। लक्ष्य को पूरा करने और राशि को ठिकाने लगाने के लिए यहां खुद सरपंच पति ने शौचालय बनवाने की खानापूर्ति करवा दी। शौचालयों का क्या हुआ यह किसी ने मुड़कर भी नहीं देखा। कागजों पर शौचालयों की संख्या देख कलेक्टर ने जिले को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया। लेकिन आजादनगर की बस्ती का कोई भी व्यक्ति इन शौचालयों का उपयोग नहीं कर रहा। शौचालय लकड़ी-कंडे और कबाड़ा भरने की जगह बने हुए हैं और आदिवासी पहले की ही तरह खुले में शौच जा रहे हैं। नए ही नहीं, पुराने शौचालयों का भी यही हाल है।

vidisha, </figure> Vidisha news, <a  href=vidisha patrika , patrika news , patrika bhopal , bhopal mp , Swachh Bharat , clean india , Toilet , ODF toilet , Sarpanch , ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/07/14/vid2_3099417-m.jpg”>

किसी एक का भी उपयोग नहीं
आजादनगर में करीब 5 माह पहले 40 शौचालयों का निर्माण प्रशासन के दबाव में करवाया गया। इसमें सरपंच धनबाई पाल के पति नारायण सिंह ने पहल की और खुद ही आदिवासियों के नाम पर शौचालयों का निर्माण अपने हाथ में ले लिया। कुछ लोगों ने खुद शौचालय बनवाने की इच्छा जताई तो सरपंच पति ने- तुम नहीं बनवा पाओगे, कहकर खुद निर्माण करा दिया और ऐसे शौचालय खड़े कर दिए कि उनमें से किसी एक का भी उपयोग नहीं हो रहा है।

vidisha, <a  href=
vidisha news , vidisha patrika, patrika news, patrika bhopal, bhopal mp, swachh bharat, clean india, toilet, odf toilet, sarpanch, ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/07/14/vid3_3099417-m.jpg”>

साढ़े 11 हजार सरपंच पति को, 500 हितग्राही को
शौचालय ऐसे बने कि ठीक ठीक से गढ़्ढा भी नहीं किया गया। घटिया निर्माण और 3-4 फीट गहरा गढ़्दा कर छत पर पतली टीन रख दीजिये। वाश बेसिन लगना था, वह तो कहीं भी लगाया नहीं। जैसे-तैसे काम निपटाकर सौंप दे आदिवासियों को शौचालय। हितग्राहियों के अधिनियम में 12-12 हजार रूपए सरकार की योजना से आइस तोल से मजदूरी के 500-500 रूपए हितग्राही आदिवासी को देकर शेष 11500 रूपए सरपंच ने बनवाई, सामान और ठेकेदार के लिए रखा।

अब क्या हो रहा है उपयोग
आजादनगर में आदिवासियों ने अपने नाम पर बने शौचालयों का शौच के लिए एक दिन भी उपयोग नहीं किया। उनमें से अधिकांश के शौचालय बंद पड़े हैं। कुछ ने सामान रखकर ताला लगा रखा है। कुछ ने कंडे-लकडिय़ां रखी हैं। कई शौचालयों के ऊपर रखी गई पतली सी टीन उड़ चुकी है। बिना छत के पतली दीवारों के स्ट्रक्चर खड़ेे हैं। कुछ ने टायलेट की सीट पर पत्थर रखकर उसे बंद कर दिया और शौचालय को केवल स्नान के उपयोग में ले रहे हैं।

केस-1 उपयोग कैसे करें, कहां जाएगी गंदगी
रज्जोबाई आदिवासी का कहना है कि ४-५ महीने पहले शौचालय बने थे। सरपंच ने पूरे पैसे हमसे खाते में से निकलवा लिए। हमने कहा था हम बनवा लेंगे, वे बोले तुम नहीं बना पाओगी। उपयोग कैसे करें, गढ्ढा ही नहीं है, गंदगी कहां जाएगी।

केस-2 सरपंच ने ले लिए पूरे रूपए
यशोदीबाई आदिवासी का कहना है कि गर्मियों में बने थे शौचालय। सरपंच ने बनवाकर दिए थे, इसलिए पूरे रूपए भी उन्होंने ही ले लिए। शौचालय का उपयोग नहीं हो पाता। पानी भी नहीं है, उपयोग कैसे करें।

केस-3 लकडिय़ां भरी हैं शौचालय में
जगदीश आदिवासी के नाम से बने शौचालय में जलाऊ लकडिय़ां भरी हैं। जगदीश की पत्नी किरण कहती हैं कि सरपंच ने लेट्रिन बनवाई थी, इसलिए उसे पूरे पैसे दे दिए। हमें मजदूरी के ५०० रूपए दिए हैं। लेट्रिन का गढ्डा नहीं हुआ है। ्र

केस-4 बिना उपयोग के ही दरवाजे टूट गए
धनीराम आदिवासी के शौचालय का दरवाजा टूटा है, छत खुली पड़ी है। वे कहते हैं कि इसका उपयोग कभी नहीं हुआ। सरपंच ने बनवाए थे। उपयोग करने के लिए पानी नहीं है। गंदगी होगी। बस्ती में करीब ५० शौचालय बने हैं।

आजादनगर में कुछ शौचालयों का निर्माण ५ माह पहले कराया था। हमने उन्हें बनवाने के लिए सामान दिया था। शौचालयों के १२-१२ हजार हितग्राहियों के खाते में आ गए हैं। सामान हमने दिया था, इसलिए हितग्राहियों को ५००-५०० रूपए मजदूरी के देकर बाकी सामान में खर्च कर दिए। यह सही है कि कई शौचालय उपयोग नहीं हो रहे हैं। वे शौचालयों का उपयोग सामान रखने के लिए कर रहे हैं।
-नारायण सिंह पाल, सरपंच पति, बागरी

बागरी गांव में करीब २२० घर हैं। यहां सौ शौचालय पहले के बने हैं। मेरे कार्यकाल में ८० कुछ माह पूर्व बनवाए गए हैं। करीब ४० शौचालय आजादनगर की आदिवासी बस्ती में बनवाए हैं। हर शौचालय के लिए १२ हजार रूपए शासन से मिले हैं। सामान सरपंच ने दिया था, बनवाए भी सरपंच ने हैं। यह सही है कि कई शौचालय उपयोग नहीं हो रहे हैं।
-सुदामा प्रसाद शर्मा, पूर्व सचिव बागरी

शौचालय हितग्राहियों को ही बनवाना थे। सरपंच नहीं बनवा सकते। आप जो स्थिति बता रहे हैं वह सही हो सकती है। मैं जांच करवा लेती हूं। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
-वंदना शर्मा, सीईओ जनपद पंचायत विदिशा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो