मालूम हो कि क्षेत्रीय नागरिकों की मांग पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा पर 2008 में इस कॉलेज की शुरुआत शासकीय बालक हासें स्कूल के दो कक्षों से हुई। साढ़े नौ साल तक कॉलेज स्कूल के इन्हीं दो कक्षों में संचालित हुआ। इसके बाद शासन द्वारा 87 लाख रुपए की लागत से फरवरी 2017 में कॉलेज भवन बनकर तैयार हुआ। जिसका उद्घाटन क्षेत्रीय विधायक तथा उद्यानिकी मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा ने किया था। लेकिन यहां अब तक स्थाई एक भी प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो सकी है। कॉलेज में छह अतिथि विद्वान, एक खेल शिक्षक और एक ग्रंथपाल की नियुक्ति है।
पांच किमी है दूर
नगर में शासकीय भूमि नहीं मिल पाने के कारण यह कॉलेज नगर से करीब पांच किमी दूर मोहनपुरा में बनाया गया। वहीं विदिशा-शमशाबाद मुख्य मार्ग से कॉलेज की दूरी करीब ड़ेढ किमी है। ऐसे में कॉलेज दूरी पर होने के कारण विद्यार्थियों को प्रतिदिन कॉलेज जाने में परेशानी होती है।
पीने के पानी के लिए होते हैं परेशान
कॉलेज में भवन निर्माण करने वाले ठेकेदार ने ट्यूबवेल खनन तो कर दिया, लेकिन मोटर नहीं लगाई। वहीं खस्ताहाल फूटी पानी की टंकी कॉलेज में रखवा दी। जो कुछ काम की नहीं। ऐसे में कॉलेज में पानी की किल्लत बनी हुई है। विद्यार्थियों के साथ ही कॉलेज स्टॉफ को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।
बिजली नहीं कैसे चलें कम्प्यूटर
आज जहां सरकारी प्रायमरी-मिडिल स्कूल में तक बिजली अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में सरकारी कॉलेज में बिजली नहीं होना बड़ी बात है। कॉलेज में लाइट तो फिटिंग कर दी गई है, लेकिन डीपी का इंतजाम नहीं हो पाने के कारण कॉलेज में विद्युत व्यवस्था नहीं हो सकी। ऐसे में यहां कम्प्यूटर लैब में रखे कम्प्यूटर कभी कोई चला ही नहीं पाता है। वहीं गर्मियों में विद्यार्थियों को पसीना-पसीना होकर पढ़ाई करना पड़ती है।
परीक्षा देने जाना पड़ता है विदिशा
कॉलेज में एक भी स्थाई प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं होने के कारण कॉलेज के 525 परीक्षार्थियों को हर वर्ष परीक्षा देने विदिशा आना पड़ता है। ऐसे में प्रत्येक विषय के पेपर के लिए विदिशा आने पर विद्यार्थियों के समय की बर्बादी होने के साथ ही अर्थ का भी नुकसान होता है। सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को होती है। अधिकांश छात्राओं को उनके परिजनों के साथ लाना पड़ता है।
खेल मैदान भी नहीं
सरकार द्वारा स्कूल में तक खेल मैदान के इंतजाम करवाए जा रहे हैं, वहीं इस कॉलेज में खेल मैदान ही अब तक नहीं बन सका। जिसके चलते यहां खेल प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं हो पाती हैं और कॉलेज की खेल प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल पाता।
10 साल से सिर्फ एक ही विषय
कॉलेज में 10 साल बाद भी सिर्फ आर्टस सब्जेक्ट की पढ़ाई होती है। छात्र-छात्राओं के साथ ही स्थानीय नागरिक क्षेत्रीय विद्यायक तथा उद्यानिकी मंत्री मीणा से साइंस, कॉमर्स विषय भी शुरु करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। ऐसे में आर्टस के अतिरिक्त विषय लेने वाले विद्यार्थियों को जिला मुख्यालय के कॉलेज में प्रवेश लेना पड़ता है।
कॉलेज जमीन पर हो रही खेती
कॉलेज की बाउंड्रीबॉल अब तक हीं बन पाने के कारण यहां दबंगों द्वारा अवैध रूप से कॉलेज की जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। इतना ही नहीं एक दबंग तो कॉलेज की शासकीय भूमि पर खेती भी कर रहा है। लेकिन कॉलेज प्रबंधन या प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है।
इनका कहना है…
शासकीय महाविद्यालय शमशाबाद में परीक्षा सेंटर के लिए जनभागीदारी समिति में दो बार प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अगली परीक्षा हमारे कॉलेज में संपन्न हो किसके लिए उद्यानिकी मंत्री द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं। दो परमानेंट शिक्षकों की नियुक्ति के लिए भी समिति ने प्रस्ताव भेजा है।
चैनसिंह मीणा, अध्यक्ष, जनभागीदारी समिति