पत्रिका ने चार वर्ष पहले वात्सल्य स्कूल के गणेशोत्सव में बच्चों को संकल्प दिलाया था, उसी संकल्प के तहत अब हर साल करीब दो सौ बच्चे खुद अपने हाथों से मिट्टी के गणेश बनाने लगे हैं। स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के हाथों से बनी इन गणेश प्रतिमाओं का प्रदर्शन भी किया।
घर-घर बनाएं मिट्टी के गणेश मुहिम के तहत पिछले वर्ष से बाजार में भी काफी गणेश प्रतिमाएं मिट्टी की बनने लगी हैं। हालांकि इस बार प्रशासन ने कोई पहल नहीं की। प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के निर्माण को रोकने के लिए न कोई बैठक हुई और न ही मूर्तिकारों के पास जाकर किसी ने सचेत किया। लेकिन पिछले वर्षों से चल रही पत्रिका की मुहिम का असर है कि बहुत सी प्रतिमाएं मिट्टी की ही बनने लगी हैं।
वात्सल्य स्कूल में हर साल धूमधाम से गणेशोत्सव मनाया जाता है। ऐसे ही कार्यक्रम मेें विद्यार्थियों और स्कूल प्रबंधन को मिट्टी के गणेश बनाने और इसके लिए वर्कशाप लगाने पर पत्रिका ने जोर दिया था। इस बात को स्वीकार कर वात्सल्य में लगातार मिट्टी के गणेश बच्चे खुद ही बना रहे हैं।
प्राचार्य देवना अरोरा ने बच्चों के हाथों बनाई गई गणेश प्रतिमाओं का डिस्प्ले कराया और कहा कि मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का यह कार्य बच्चों के प्रोजेक्ट में शामिल कर उन्हें इसके अंक भी दिए जाएंगे। विद्यालय प्रबंधन की स्वाति अरोरा ने बताया कि कक्षा २ से ७ तक के विद्यार्थियों ने ये प्रतिमाएं बनाई हैं।अधिकांश बच्चों ने दो-दो प्रतिमाएं बनाईं हैं, इनमें से एक स्कूल में डिस्प्ले की गई है तो दूसरी वे अपने घर में स्थापना के लिए ले गए हैं।