माना जा रहा है कि घटना शुक्रवार की दोपहर करीब दो बजे के बाद की है। मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं चल रही हैं। सीहोर निवासी अभिनव यादव भी परीक्षा दे रहा था। जब वह कॉपी लेने उठा तो उसके पास से कई पर्चियां नीचे गिरी। आबजर्वर की नजर पर्चियों पर पडऩे के बाद नियमानुसार ऑनलाइन फार्म निकालकर इन मिली हुई पर्चियों के साथ उसका फार्म भरा गया था।
सिर पर चोट थी
इस प्रक्रिया के बाद अभिनव ने पूरे समय तक परीक्षा दी और बाद में हॉस्टल के पास उसे अन्य साथियों ने बेहोश हालत में देखा। उसके सिर पर चोट थी। यहां विद्यार्थियों को अपने बेहोश साथी को अस्पताल लाने के लिए अन्य कोई वाहन नहीं नहीं मिला। इस पर अन्य छात्र साथी बाइक से जिला अस्पताल लाए। इस दौरान अन्य साथी भी जिला अस्पताल आ गए इससे अस्पताल परिसर में बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।
कलेक्टर व कॉलेज डीन भी पहुंचे अस्पताल
सूचना पर कलेक्टर केवीसिंह सहित मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. सुनील नंदेश्वर, तहसीलदार आशुतोष शर्मा, जिला अस्पताल सिविल सर्जन डॉ. संजय खरे आदि पहुंचे। मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ओटी में करीब आधे घंटे तक विद्यार्थी का उपचार करती रही लेकिन अभिनव को बचाया नहीं जा सका।
मौत से गमगीन रहे विद्यार्थी
जिला अस्पताल में अभिनव को मृत घोषित करने के बाद कॉलेज के सभी साथी गमगीन हो गए। उनकी आंखें छलछला आई। गला भर गया। कोई भी साथी कुछ बताने को तैयार नहीं थे। वह कब, कैसे कहां से कूूदा विद्यार्थी कुछ कह नहीं पाए। दोपहर से लेकर पीएम होने तक अस्पताल में विद्यार्थियों की खासी भीड़ रही।
फॉरेंसिक टीम ने किया मौके की जांच
कोतवाली थाना प्रभारी आरएन शर्मा ने बताया कि प्रथम दृष्टया हॉस्टल से कूदकर खुदकुशी का मामला सामने आया है। मर्ग कायम कर मामले में जांच की जा रही है। घटना के बाद एफएसएल टीम से मौका निरीक्षण एवं विद्यार्थी के कक्ष का निरीक्षण कराया गया। वहीं सिविल सर्जन डॉ. खरे के मुताबिक विद्यार्थी के सिर में चोट थी। पल्स, वीपी नहीं था। आधे घंटे तक मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पताल की टीम उपचार में जुटी रही, लेकिन जान नहीं बच पाई। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम से शव का पीएम किया है।
पिता ने कहा-मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता
इधर करीब चार बजे अभिनव के पिता रामसिंह यादव सीहोर से जिला अस्पताल पहुंचे। उनका कहना रहा कि मेरा बेटा स्ट्रांग था। उसने इस कालेज को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष किया। वह कॉलेज के प्रथम वर्ष की सूची में प्रवेश करने वाला पहला छात्र था। वह काफी स्ट्रांग था वह ऐसा कदम नहीं उठा सकता।
डॉक्टर बनाने का सपना था
फौज से रिटायर्ड यादव ने बताया कि दो बेटों में अभिनव सबसे बड़ा था इसे जनता की सेवा के लिए डॉक्टर बनाने का सपना था। वहीं दूसरे बेटे को देश सेवा के लिए सैनिक स्कूल में पढ़ा रहा हूं। उन्होंने अभिनव का इसी कॉलेज में देहदान करने की इच्छा जताई, लेकिन शव का पीएम होने के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था।
प्रथम वर्ष का छात्र था। परीक्षा के दौरान कापी लेते समय उसके पास से पर्चियां गिरी थी। इससे उसका फार्म भराया था। उसने पूरे समय परीक्षा दी। इसके बाद वह चला गया था। बाद में विद्यार्थी ने खुदकुशी कर ली।
डॉ. सुनील नंदीश्वर, डीन, मेडिकल कॉलेज