एसएटीआई में ग्रांट न बढऩे से ये नौबत आ रही है। सरकार से शत प्रतिशन अनुदान प्राप्त इस संस्था में काफी समय से करीब 5 करोड़ ही अनुदान के नाम पर एसएटीआई को मिल रहे हैं, जबकि वेतन आदि के लिए संस्थान को करीब 10 करोड़ रुपयों की आवश्यकता होती है। इसलिए ग्रांट बढ़ाने के लिए संस्था स्तर पर कई बार प्रदेश सरकार को लिखा जा चुका है, लेकिन संस्थान प्रबंधन और सरकार के बीच समन्वय न होने से सारी दिक्कतें आ रही हैं। यही कारण है कि कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ रहे हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों डायरेक्टर डॉ. जेएस चौहान अपने स्टॉफ को लेकर नपाध्यक्ष मुकेश टंडन के पास मदद मांगने पहुंचे थे और सरकार से ग्रांट बढ़वाने में सहयोग का आग्रह किया था, हालांकि अभी तक ग्रांट नहीं मिल सकी है।
पिछले कई माह से यही हाल…
पिछले कई माह से वेतन का यही हाल है और कर्मचारी भारी संकट भुगत रहे हैं। 1 अप्रेल को मिलने वाला वेतन 27 अप्रेल को मिला था। 1 मई को मिलने वाला वेतन 50 प्रतिशत 1 जून को तथा शेष 50 प्रतिशत 3 जुलाई को मिला। 1 जून को मिलने वाला वेतन 50 प्रतिशत 26 जून को तथा शेष 50 प्रतिशत 4 जुलाई को मिला। जबकि अगस्त का वेतन अभी तक नहीं मिला है।
पिछले कई माह से वेतन का यही हाल है और कर्मचारी भारी संकट भुगत रहे हैं। 1 अप्रेल को मिलने वाला वेतन 27 अप्रेल को मिला था। 1 मई को मिलने वाला वेतन 50 प्रतिशत 1 जून को तथा शेष 50 प्रतिशत 3 जुलाई को मिला। 1 जून को मिलने वाला वेतन 50 प्रतिशत 26 जून को तथा शेष 50 प्रतिशत 4 जुलाई को मिला। जबकि अगस्त का वेतन अभी तक नहीं मिला है।
खजाने में पैसा, पर बांटने को नहीं
संस्था की वेबसाइट पर उपलब्ध 4 साल की बैलेंस शीट इस बात का प्रमाण है कि एसएटीआई के पास आज भी 12 करोड़ से ज्यादा राशि है, लेकिन प्रबंधन बांटना नहीं चाहता। बैलेंस शीट के मुताबिक संस्थान के पास 31 मार्च 2016 को कैश और बैलेंस 10 करोड़ 93 लाख था। 31 मार्च 2017 को 9 करोड़ 40 लाख बैलेंस था। जबकि 31 मार्च 2018 को संस्थान के पास 12 करोड़ 61 लाख रुपए बैलेंस है। इसके अलावा एक साढ़े छह करोड़ की एफडीआर है, जो मुंबई में बनवाई गई है, इसका नियंत्रण डायरेक्टर के हाथ में नहीं है। इसका वर्तमान मूल्य करीब 9 करोड़ रुपए है।
संस्था की वेबसाइट पर उपलब्ध 4 साल की बैलेंस शीट इस बात का प्रमाण है कि एसएटीआई के पास आज भी 12 करोड़ से ज्यादा राशि है, लेकिन प्रबंधन बांटना नहीं चाहता। बैलेंस शीट के मुताबिक संस्थान के पास 31 मार्च 2016 को कैश और बैलेंस 10 करोड़ 93 लाख था। 31 मार्च 2017 को 9 करोड़ 40 लाख बैलेंस था। जबकि 31 मार्च 2018 को संस्थान के पास 12 करोड़ 61 लाख रुपए बैलेंस है। इसके अलावा एक साढ़े छह करोड़ की एफडीआर है, जो मुंबई में बनवाई गई है, इसका नियंत्रण डायरेक्टर के हाथ में नहीं है। इसका वर्तमान मूल्य करीब 9 करोड़ रुपए है।
कर्मचारी बेहद परेशान हैं। करीब ढाई माह का वेतन ड्यू हो गया है। छोटे कर्मचारियों की ज्यादा परेशानी है। विभिन्न लोन की किश्तें नहीं भर पा रही हैं। संस्थान के पास पैसा होते हुए नहीं बांटा जा रहा।
-धर्मेन्द्र शाह, अध्यक्ष, एसएटीआई कर्मचारी परिषद
-धर्मेन्द्र शाह, अध्यक्ष, एसएटीआई कर्मचारी परिषद
सरकार से ग्रांट न मिलने से वेतन की परेशानी हुई है। चतुर्थ श्रेणी, संविदा कर्मियों का वेतन नियमित निकल रहा है। बाकी का रुका हुआ है। संस्थान के पास पैसा नहीं है। जल्दी ही ग्रांट मिलेगी और सबका भुगतान हो जाएगा।
-डॉ. जेएस चौहान, डायरेक्टर, एसएटीआई
-डॉ. जेएस चौहान, डायरेक्टर, एसएटीआई