सर्दी के कारण नींद उड़ी हुई थी
ऐसा ही देखने को मिला गुरुवार की रात जिला अस्पताल में। यहां विभिन्न वार्डों में भर्ती कई गरीब मरीज ठंड से कराह रहे थे। रेगजीन के गद्दे होने और उन पर चादर न रहने से यह गद्दे काफी ठंडे थे और मरीजों की सर्दी के कारण नींद उड़ी हुई थी।
घर से चादर लाना पड़ रहा
कई पलंगों पर पुराने और फटे कंबलों से मरीज अपने आपको सर्दी से बचाव के प्रयास कर रहे थे । कुछ परिजनों को अपने मरीज को सर्दी से बचाने के लिए घर से कंबल, रजाई व चादर लाना पड़ रहा है। भर्ती मरीजो के अनुसार हालत यह कि जरा कुछ देर के लिए इधर-उधर चले जाओ तो कंबल ओर चादर दूसरे मरीज अपने पलंग पर ले जाते हैं।
मरीजों ने यह सुनाई व्यथा
मेडिकल वार्ड में भर्ती छीरखेड़ा निवासी मोबतसिंह का कहना है कि दो दिन से भर्ती है लेकिन कंबल और चादर अस्पताल से नहीं मिले। उसका कहना है कि कंपकपाती सर्दी के बीच घर से लाए एक कंबल के भरोसे है लेकिन सर्दी बढऩे से यह भी कम पड़ रहा है। इसी तरह ग्राम सोजना के नत्थूलाल को भी यहां चादर कंबल नहीं मिला।
सर्जिकल व अन्य वार्डों में बन रही
परिजनों ने बताया कि हम अपने लिए कंबल लाए थे लेकिन मरीज को सर्दी से बचाने उसे दे दिए और खुद ठंड में ठिठुर रहे। विदिशा निवासी राहुल को भी अपने भर्ती परिजन के लिए घर से कंबल और चादर लेकर आना पड़ा। वहीं बिलोरी निवासी बलराम के परिजनों का कहना है कि पांच दिन हो गए भर्ती हुए पर कंबल व चादर अब तक नहीं मिले। ऐसी ही स्थिति जिला अस्पताल के सर्जिकल व अन्य वार्डों में बन रही है।
चादर धुलने के बाद देरी से आ रहे
वहीं अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि पहले विदिशा में चादर धुलते थे और दूसरे दिन आ जाते थे, लेकिन अब चादर धुलने भोपाल जा रहे और इन्हें आने में दो-तीन दिन लग रहे। इस कारण चादरों की कमी पड़ रही है। वहीं नए अस्पताल में शिफ्टिंग के कारण भी चादर और कंबलों का रखरखाव गड़बड़ाया है। जितनी उपलब्धता रहती है उतने मरीजों को चादर कंबल उपलब्ध कराए जाते हैंं।
वार्डों में इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। क्या दिक्कत आ रही उसे दिखवाया जाएगा और समस्या को दूर किया जाएगा।
-डॉ. एमके जैन, प्रभारी सिविल सर्जन, जिला अस्पताल