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अब सरसों भी दिला रही जिले को प्रदेश में पहचान

locationविदिशाPublished: May 18, 2023 03:57:18 am

Submitted by:

Bhupendra malviya

समर्थन मूल्य खरीदी में प्रदेश में अव्वल नंबर तक पहुंच चुका जिला

अब सरसों भी दिला रही जिले को प्रदेश में पहचान

अब सरसों भी दिला रही जिले को प्रदेश में पहचान

विदिशा। जिले में सरसों की फसल कुछ वर्ष तक किसान सिर्फ अपने घर के उपयोग के लिए करता आया है, लेकिन यही फसल अब किसान की आय का मुख्य स्रोत बनने लगी है। फसल में कम लागत, अच्छी पैदावार और अच्छे दाम के कारण किसानों ने इसे तेजी से अपनाना शुरू किया और अब यह फसल जिले को प्रदेश में अपनी पहचान दिलाने लगी है। गत दो दिन पूर्व जिला समर्थन मूल्य खरीदी में प्रदेश में सबसे अधिक सरसों की खरीदी करने वाले जिले में शामिल रहा और अभी सरसों की यह खरीदी जारी है।
मिली जानकारी के अनुसार जिले में करीब पांच वर्ष पूर्व तक किसान इस फसल को घर में उपयोग करने के उद्देश्य से अन्य फसलों के साथ बहुत कम मात्रा में इसे लगाता आया है, लेकिन कृषि विभाग द्वारा किसानों को लगातार प्रेरित करते रहने से इसका रकबा 1 हजार हैक्टेयर से बढ़कर 1500, 5 हजार, 11 हजार और अब 4३ हजार हैक्टेयर तक पहुंच चुका और इसकी अच्छी पैदावार होने लगी है। मंडी में व समर्थन मूल्य भी अच्छे मिलते रहने से इसका रकबा लगातार विस्तार ले रहा है और यह फसल कम लागत में ज्यादा मुनाफा की फसल साबित हो रही है।
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16000 हजार मैट्रिक टन हो चुकी खरीदी
कृषि विभाग के उपसंचालक केएस खपेडिय़ा के मुताबिक दो दिन पूर्व की स्थिति में समर्थन मूल्य पर 16 हजार मैट्रिक टन सरसों की खरीदी कर विदिशा जिला प्रदेश में अन्य जिलों के मुकाबले टॉप पर रहा। उन्होंने बताया कि जिले के 8 हजार 919 किसानों ने सरसों के विक्रय के लिए अपना पंजीयन कराया। इसमें अब तक 5 हजार 535 किसानों ने अब तक सरसों का विक्रय किया है और करीब 3 हजार से अधिक किसान अभी विक्रय करने में शेष है। जबकि समर्थन मूल्य पर यह खरीदी 30 मई तक होना है। इससे यह खरीदी अभी और भी बढ़ेगी।
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इस खरीदी गई सरसों के दाम 87 करोड़ 20 लाख
मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 16000 मेट्रिक टन सरसों की खरीदी हुई। क्ंिवटल में यह मात्रा 1 लाख 60 हजार क्ंिवटल है और समर्थन मूल्य 5450 के मान से यह खरीदी 87 करोड़ 20 लाख की होना मानी जा रही है। कृषि उपसंचालक खपेडिय़ा के मुताबिक इस फसल में लागत कम है। इसमें पानी भी अधिक नहीं लगता और पैदावार भी 15 क्ंिवटल से 20 क्ंिवटल तक रहती है। उन्होंने बताया कि आगामी समय में जिले में इसका रकबा और अधिक बढ़ेगा।
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