नंदवाना में बरसाने जैसा माहौल था, राधे-राधे के घोष गूंज रहे थे। नजदीक ही दो अन्य मंदिरों में भी राधाष्टमी की धूम थी। शर्मा ने बताया कि वर्ष में यह मंदिर सिर्फ एक बार ही सार्वजनिक दर्शन के लिए खुलता है, बाकी ३६४ दिन राधारानी की गुप्त सेवा होती है। यहां हर त्यौहार, पद, श्रंगार और भोग का निश्चित पैमाना है, जिसमेंं हर कार्य पूरी पवित्रता के साथ होता है। १८ वीं शताब्दी में राधारानी की निधियां बरसाने से मुगलों के आतंक के कारण छिपाकर यहां लाई गईं थीं, तभी से इनकी गुप्त सेवा हो रही है।
विश्वकर्मा जयंती पर नगर में निकाली शोभायात्रा
विदिशा. विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष्य में समाजजनों द्वारा शहर के मुख्य मार्गों से भगवान विश्वकर्मा की शोभायात्रा निकाली गई। वहीं घर-घर में भगवान का पूजन हुआ। चौपड़ा स्थित विश्वकर्मा मंदिर में दिनभर धार्मिक अनुष्ठान हुए।
दोपहर को बंटीनगर चौराहा से शोभायात्रा प्रारंभ हुई। इस दौरान एक रथ पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा रखी हुई थी। वहीं एक रथ पर भगवान विश्वकर्मा के स्वरूप विराजित थे। डीजे पर भगवान के भजन बज बज रहे थे।
जिस पर युवा नाचते-गाते हुए चल रहे थे। वहीं अखाड़े के छोटे-बड़े पहलवान करतब दिखाते हुए चल रहे थे। एक रथ पर कलाकार भगवान का स्वरूप रखकर नृत्य करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा का जगह-जगह विभिन्न संगठनों द्वारा स्वागत किया गया। शोभायात्रा चौराहा से शुरु होकर पीतलमिल तिराहा, एफओबी, माधवगंज, निकासा, तिलक चौक होते हुए शहर के मुख्य मार्गों से निकाला गया।