जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल विशेषज्ञ के 3 पद स्वीकृत जबकि दो विशेषज्ञ है। इनमें भी एक विशेषज्ञ सिविल सर्जन की जिम्मेदारी निभाने से एकमात्र विशेषज्ञ पर ही मरीज निर्भर हैं। इसी तरह स्त्रीरोग विशेषज्ञ के चार पद स्वीकृत लेकिन सभी चारों पद रिक्त है।
एक भी स्त्रीरोग विशेषज्ञ अस्पताल में नहीं है। इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ के कुल सात स्वीकृत पद में से सिर्फ दो चिकित्सक ही पदस्थ है। हड्डी रोग विशेषज्ञ के दो पद है इनमें एक ही विशेषज्ञ पदस्थ थे लेकिन वे भी निलंबित हो गए। इसी तरह की स्थिति नेत्र रोग, सर्जिकल, इएनटी, निश्चिेतना, रेडियोलाजिस्ट आदि विशेषज्ञों की अस्पताल में कमी है।
अस्पताल कर्मचारियों के अनुसार मौजूद अन्य चिकित्सक मरीजों का सभी तरह का उपचार करने में सक्षम रहते हैं लेकिन विषम परिस्थितियों में मरीज के उपचार के लिए विशेषज्ञों की राय की जरूरत होती है। ऐसे में मरीजों को रेफर करना मजबूरी हो जाता है और इन स्थितियों के बीच हर माह करीब सौ से डेढ़ सौ मरीज विदिशा से भोपाल रेफर होते हैं।
अस्पताल में 60 नर्स स्टॉफ की कमी जिला अस्पताल में नर्स की कम संख्या भी मरीजों के उपचार में समस्या बन रही है। यहां 160 नर्स स्टॉफ स्वीकृत है। इसके बदले में करीब सौ नर्स ही अस्पताल में है। इससे मरीजों की अधिक संख्या के बीच उपचार कार्य में मुश्किल होती है। अस्पताल के चिकित्सक नर्स स्टॉफ की पूर्ति होना बहुत जरूरी मान रहे हैं।
स्टॉफ की कमी है। फिर भी कम स्टॉफ के बीच बेहतर कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है। स्टॉफ की कमी को दूर करने शासन को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं।
– डॉ. संजय खरे, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल