मोतियों और हरश्रंगार के फूलों से सजीं राधारानी
राधारानी का जन्मोत्सव के दिन मोहक श्रंगार किया गया था। मोतियों और नगों से सजीं राधारानी और ठाकुर जी को हरश्रंगार के पुष्पों से भी सजाया गया था। मंदिर के मुखिया मनमोहन शर्मा ने उनकी जन्म आरती उतारी और फिर पूरा परिसर राधे राधे के जयकारों से गूंज उठा। परिसर में आरती हो रही थी, फिर भजन हुए और श्रद्धालु नृत्य करने लगे। नंदवाना की इस पूरी गली में राधावल्लभीय हवेली में विराजित राधारानी के साथ ही अन्य आजू बाजू के राधा मंदिरों में भी भव्य आयोजन हुए।
राधारानी का जन्मोत्सव के दिन मोहक श्रंगार किया गया था। मोतियों और नगों से सजीं राधारानी और ठाकुर जी को हरश्रंगार के पुष्पों से भी सजाया गया था। मंदिर के मुखिया मनमोहन शर्मा ने उनकी जन्म आरती उतारी और फिर पूरा परिसर राधे राधे के जयकारों से गूंज उठा। परिसर में आरती हो रही थी, फिर भजन हुए और श्रद्धालु नृत्य करने लगे। नंदवाना की इस पूरी गली में राधावल्लभीय हवेली में विराजित राधारानी के साथ ही अन्य आजू बाजू के राधा मंदिरों में भी भव्य आयोजन हुए।
राधारानी ने सही जगह का चयन किया
मंदिर में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विदिशा एक ऐतिहासिक, धार्मिक नगरी है। संस्कार, भक्तिभाव और वैष्णवजनों की नगरी है। इसलिए राधारानी ने बिल्कुल सही जगह का चयन किया है। वो बिल्कुल सही जगह पर आकर रुक गईं हैं। उनकी कृपा से विदिशा धनधान्य से संपन्न है और विदिशा हमेशा हिन्दुस्तान में हिन्दू धर्म का गढ़ माना जाता है और मैं ऐसा मानती हंू कि शायद उसका कारण राधारानी की उपस्थिति रही होगी।
मंदिर में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विदिशा एक ऐतिहासिक, धार्मिक नगरी है। संस्कार, भक्तिभाव और वैष्णवजनों की नगरी है। इसलिए राधारानी ने बिल्कुल सही जगह का चयन किया है। वो बिल्कुल सही जगह पर आकर रुक गईं हैं। उनकी कृपा से विदिशा धनधान्य से संपन्न है और विदिशा हमेशा हिन्दुस्तान में हिन्दू धर्म का गढ़ माना जाता है और मैं ऐसा मानती हंू कि शायद उसका कारण राधारानी की उपस्थिति रही होगी।
उमा बोलीं-पत्रिका में पढ़ा तो यहां आई
राधारानी के दर्शन के बाद पूर्व मुख्यमंंत्री उमा भारती ने मीडिया से चर्चा में कहा कि आज मैं राधारानी के दर्शन करने आई हूं। मैंने राजस्थान पत्रिका में पिछले साल विदिशा में राधारानी के मंदिर के बारे में पढ़ा था, बरसाने मैं जा नहीं पा रही थी, क्योंकि पिछले साल कोरोना के कारण एक माह वहां जाने की अनुमति नहीं थी। जैसे ही मंैने पढ़ा तो तुरंत यहां आई। जब मैंने यहां का इतिहास सुना कि ये तो 300-400 साल पुरानी जगह है और राधारानी की बड़ी सिद्ध प्रतिमा है तो मुझे लगा कि विदिशा की पूरी महिमा का मुख्य कारण यह है कि राधारानी यहां की महारानी हैं।
राधे तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए…
सुबह करीब 4 बजे विदिशा पहुंचीं पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती करीब 5 बजे राधामंदिर पहुंचीं और पट खुलने तक उनके द्वार के सामने बैठीं राधाजी का ध्यान करतीं रहीं। यहां उन्होंने मंदिर परिवार से जुड़ी महिलाओं तथा भाजपा नेताओं संग राधाजी के भजन गाए। राधे तेरे चरणों की मुझे धूल जो मिल जाए…गाते गाते वे भाव विभोर हुईं। जब राधाजी के पट खुले तो उन्होंने भी आरती में हिस्सा लिया। बाद में उमाभारती सर्किट हाउस पहुंचीं, यहां उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ ही कलेक्टर तथा एसपी से भी चर्चा की।
सुबह करीब 4 बजे विदिशा पहुंचीं पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती करीब 5 बजे राधामंदिर पहुंचीं और पट खुलने तक उनके द्वार के सामने बैठीं राधाजी का ध्यान करतीं रहीं। यहां उन्होंने मंदिर परिवार से जुड़ी महिलाओं तथा भाजपा नेताओं संग राधाजी के भजन गाए। राधे तेरे चरणों की मुझे धूल जो मिल जाए…गाते गाते वे भाव विभोर हुईं। जब राधाजी के पट खुले तो उन्होंने भी आरती में हिस्सा लिया। बाद में उमाभारती सर्किट हाउस पहुंचीं, यहां उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ ही कलेक्टर तथा एसपी से भी चर्चा की।