नायब तहसीलदार दौजीराम अहिरवार ने पत्रिका को बताया कि 15 जनवरी को अतिक्रमणकारी काजी सैयद इरफान अली को पेशी में बुलाया गया था, उन्होंने नोटिस का जवाब देकर अपना पक्ष रखा और बताया कि वे पिछले कई वर्षों से वहां काबिज हैं, उन्होंने शपथ पत्र भी पेश किया, लेकिन प्रशासन उनके पक्ष से संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद उन्हें महल से बेदखल करने का आदेश पारित कर दिया गया। राजस्व निरीक्षक और पटवारी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे तीन दिन में महल से अनाधिकृत कब्जा हटवाकर प्रशासन के अधीन करेंं और अपना ताला डालें।
विदिशा. पत्रिका में खबर के प्रकाशन और आयुक्त पुरातत्व के निर्देश के बाद जिला पुरातत्व संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ अहमद अली ने पहले उदयपुर महल का दौरा किया और फिर शुक्रवार को गंजबासौदा के तहसील कार्यालय पहुंचे। डॉ अली ने तहसीलदार का पत्र सौंपकर महल की जानकारी, पटवारी नक्शा, खसरा स्वामित्व के बारे में जानकारी मांगने के लिए पत्र सौंपा। उन्होंने पत्र में लिखा है कि ये दस्तावेज उपलब्ध कराएं ताकि आगे कार्रवाई की जा सके। क्यूरेटर ने पत्र में लिखा है कि उदयपुर के प्राचीन महल जहां किसी कब्जेदार ने निजी संपत््िरत का बोर्ड लगा लिया है को पुरातत्व विभाग संरक्षण में लेना चाहता है। इस बारे में नायब तहसीलदार दौजीराम ने बताया कि पुरातत्व विभाग से अधिकारी आए थे उन्होंने महल की करीब पौने चार बीघा क्षेत्र की जानकारी मांगी है, उन्हें खसरा, नक्शा, नजरी नक्शा आदि जानकारी मुहैया कराई जा रही है ताकि वे महल को पुरातत्व विभाग के अधीन करने की कार्रवाई कर सकें।
पत्रिका की लगातार खबरें…
पत्रिका ने उदयपुर के महल को लक्ष्य बनाकर 6 जनवरी से अपना अभियान छेड़ रखा है, जिसमें लगातार खबरें प्रकाशित कर उदयपुर महल पर कब्जे और उस पर कार्रवाई सहित प्रशासनिक उदासीनता के समाचार भी प्रकाशित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही आंदोलित होते लोगों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। जिले भर के लोग इस मुहिम से जुड़ रहे हैं और उदयपुर की ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए दबाव बनता जा रहा है। कुरवाई विधायक हरिसिंह सप्रे भी इस बारे में अधिकारियों को कह चुके हैं।