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विदिशा

उदयपुर के प्राचीन महल में पत्रिका की दस्तक….

महल के खंबों पर तन गई छत, बन गए कमरे और सीढिय़ां

विदिशाJan 17, 2021 / 07:30 pm

govind saxena

उदयपुर के प्राचीन महल में पत्रिका की दस्तक....

उदयपुर के प्राचीन महल में पत्रिका की दस्तक….

विदिशा. उदयपुर के प्राचीन महल पर कब्जा हो गया, निजी संपत्ति का बोर्ड लग गया, दीवार तोडकऱ गेट लग गया, छत, कमरे और सीढिय़ां बन गईं, लेकिन प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। पत्रिका ने जब हल्ला मचाया तब सबकी नींद टूटी है और अब कार्रवाई के लिए कागज दौड़ाए जा रहे हैं। महल पर किए गए अनाधिकृत कब्जे को प्रशासन ने हटाने और अतिक्रमणकारी को बेदखल करने के आदेश जारी कर दिए हैें। राजस्व टीम को तीन दिन का वक्त दिया गया है। लेकिन इस महल पर कब्जा है किस तरह काïïï? यह देखने पत्रिका टीम ने शनिवार को महल का रुख किया। पत्रिका के जरिए पहली बार किले के अंदर का यह अतिक्रमण पाठकों के सामने लाया गया है। उदयपुर के महल में एक हिस्से की बाहरी दीवार को तोडकऱ सीमेंट-कांक्रीट के पिलर और लोहे का बड़ा सा गेट लगा लिया गया है। विशाल परिसर में महल की निचली मंजिल के खंबों पर सीमेंट-कांक्रीट की छत डाल दी गई है, कमरे बना लिए गए हैं और ऊपर जाने के लिए सीढिय़ां भी बन गई हैं।
6 जनवरी को पत्रिका में महल को निजी संपत्ति घोषित करने की खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन ने 8 जनवरी को डॉ काजी सैयद इरफान अली को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में लिखा था कि रकवा 822 की 0.795 हेक्टेयर में स्थित प्राचीन इमारत जिसे महलों वालों के नाम से जाना जाता है उसकी दीवार तोडकऱ गेट लगा दिया गया है। अंदर अनाधिकृत रूप से निर्माण कर गैर कानूनी तरीके से उसमें घुसकर अतिक्रमण किया गया है। उक्त इमारत प्राचीन होकर शासकीय धरोहर है। अतिक्रमणकर्ता से प्रशासन ने इस बारे में कुछ सवाल पूछे गए थे, ये नोटिस तामील न होने पर उसी गेट पर चस्पा कर दिया गया था, जो महल की दीवार तोडकऱ लगाया गया है। नोटिस अभी भी वहीं चस्पा है। शनिवार को पत्रिका टीम महल में पहुंची तो पता चला कि मुख्य महल से ही जुडा हुआ है ये अवैध कब्जा और अवैध निर्माण। करीब एक हजार वर्ग फीट से ज्यादा हिस्से में प्राचीन स्तंभों और कमरों पर अनाधिकृत रूप से सीमेंट-कांक्रीट की छत डाल दी गई है और ये निर्माण अभी कुछ समय पहले ही किया स्पष्ट दिखाई दे रहा है। वहीं महल परिसर में ही पुराने निर्माण पर पक्के कमरे और ऊपर पहुंचने के लिए पक्की सीढिय़ों का भी निर्माण किया गया है। महल परिसर में ही अंदर की ओर पक्के शौचालय और एक ओर लंबा खेल मैदान बना लिया गया है। बताया गया है कि इसी परिसर में मदरसा भी संचालित होता था।
अवैध निर्माण टूटेगा…?
प्रशासन ने ये माना है कि महल राजस्व की जमीन पर और प्राचीन इमारत होकर शासकीय धरोहर है। अतिक्रमणकारी के जवाब से असंतुष्ट प्रशासन ने उन्हें महल से बेदखल करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। ऐसे में सवाल ये है कि बेदखली केवल सामान हटाकर या महल खाली कराकर ही मान ली जाएगी, या फिर अवैध रूप से महल की दीवार तोडकऱ बनाए गए सीमेंट कांक्रीट के पिलर, लोहे का गेट, लंबी-चौड़ी छत, कमरों और सीढिय़ों को तोड़ा जाएगा।
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